________________ ( 121 ) चारों ओर जंगल है, इसका मार्ग भी कंकटमय, भयकर, और. कंकरीला है। यह सिरोही से 9 मील दूर है। ___इस समय इस स्थान पर चार जैनमंदिर, एक जैनधर्मशाला, एक सुन्दर और छोटा हिन्दुदेवल तथा टेकरी पर ध्वंसावशिष्ट किला मौजूद है / यहाँ के जैनमंदिरों में से तीन जिनमन्दिर पर्वत की ढालू जमीन पर स्थित हैं-जिनमें ऐक सब से बडा मकराणा पाषाण का सुंदर नकशीदार है और सब से पुराना है / वाकी दो मन्दिर अर्वाचीन और सादे हैं, जो विक्रम की 15 वीं सदी में बने मालूम पडते हैं / चौथा मन्दिर रास्ते के ऊपर है, जो छोटा और प्राचीन है। ऊपर के तीनों मन्दिरों की सभी प्रतिमाएँ इसी चौथे मंदिर में पीछे से स्थापन कर दी गई हैं, जो प्रायः खंडित हैं। मूर्तियों में अजितनाथ और शान्तिनाथ के दो काउसगिये प्राचीन हैं और उन पर एकही मतलब का इस प्रकार लेख है १-संवत 1346 वर्षे फागुणसुदि 2 सोमे श्रे० बोहरि भा० अच्छिीणी, पुत्र छोगा, भा० कडू पु० श्रे० समंधर भा० लाडी, पु० पूनपाल भा० 2 चांपल तान्हू पु० देवपाल मदन कर्मसिह श्रे० आसपाल भा० लाछू पु० महिपाल भा० ललता पितु-मातृश्रेयोऽर्थ श्री शांतिनाथदेव प्रतिष्टितं श्रीचंद्रसिंहमूरि संतानीय श्रीपूर्णचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीवर्धमानसूरिभिः / ___इनके सिवाय एक चोवीसी का पट्ट है, जो सब से प्राचीन है और यह श्रीचन्द्रसिंहसूरिजी के हाथ से सं० 1216 आषाढ सुदि 10 रविवार के दिन प्रतिष्ठत हुआ है / वाकी सव प्रतिमाएँ