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________________ (117 ) उसके आगे एक छोटा गाँव आता है। यहाँ एक छोटी धर्मशाला में अचलगढ़ का कारखाना और श्रीकुन्थुनाथस्वामी की सर्वधात की प्रतिमा बिराजमान है जिस पर सं० 1527 का लेख है / ___ आगे ऊंचे जाने पर पहाड़ के शिखर के पास एक जैन धर्मशाला और उससे ऊपर मन्दिरों में जाने की पोल अाती है। यहाँ मय कारतुस-बन्दूक और तलवार के पहरेदार रहते हैं, जो मन्दिर और यात्रियों की रक्षा के लिये कारखाने के तरफ़ से नियत हैं। इससे कुछ आगे जाने पर श्रीशान्तिनाथ और नेमनाथस्वामी के मन्दिर के दर्शन होते हैं / यहाँ से पन्द्रह सीड़ियाँ चढ़ने पर इस गढ़ का मुकुटमणि दोमंजिला चोमुखमन्दिर है, जिसकी ऊपर की छत पर खड़े होकर देखने से दूर दूर गाँवों और आबू के सुन्दर दृश्य दृष्टिगोचर होते हैं। इसके दोनों खंडों में सर्वधात की अतिरमणीय 14 प्रतिमा बिराजमान हैं, जो तोल में 1444 मनकी मानी जाती हैं / ये प्रतिमाएँ बिलकुल स्वर्ण के समान चमकती हुई हैं और इनमें सब प्रतिमाएँ सं० 1518 और 1566 की प्रतिष्ठित हैं। नयी जैन धर्मशाला के सामने के रास्ते से कुछ ऊंचे चढ़ने बाद सावन, भादवा नामके दो जलासय आते हैं, जिनमें सदा जल रहता है / पर्वत-खिखर के पास टूटा हुआ जूना किल्ला है, जो मेवाड़ के महाराणा कुम्भकर्णने सं० 1506 में बनवाया था। यहाँ से नीचे के ढाल में पहाड़ को काट कर बनाई हुई दो मंजल की एक छोटी गुफा है, जो हरिश्चन्द्र की गुफा के नाम से
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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