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________________ ( 116) पंचतीर्थी के भगवान् श्रीआदिनाथस्वामी की अतिमनोहारिणी भव्य मूर्ति विराजमान है, जो सं० 1526 में श्रीमालजाति के मंत्री मण्डन के पुत्र मंत्री सुन्दर और गन्दाने स्थापित की है। इसके अलावा यहाँ के कारखाना के सामने की बगल पर तिमजिला चोमुखजी का और श्रीशान्तिनाथ भगवान का सौधशिखरी जिनमन्दिर है / यहाँ पर अहमदाबाद वाले हठीसिंह केशरीसिंह की बडी और पञ्चायती छोटी; एवं दो श्वेताम्बर जैनधर्मशालाएँ और धर्मशालाओं से कुछ दूर दिगम्बरीय मन्दिर है, जो छोटी धर्मशाला के भीतरी कमरे में ही है। देलवाडा से 5 मील उत्तर-पूर्व में अर्बुदाचल की 'अचलगढ़' नामक चोटी है, जो समुद्र के जल से 4688 फीट ऊंची है / इसके नीचे ढालू भूमि पर पहाड से लगते ही श्रीशान्तिनाथ भगवान का सुन्दर मन्दिर है, जो परमार्हत् राजा कुमारपाल का बनवाया हुआ है / इसमें तीन मूर्ति पद्मासनस्थ और मण्डप में दो कायोत्सर्गस्थ हैं। जिन में एक पर सं० 1302 का लेख है / इससे थोडी दूर अचलेश्वर महादेव का मन्दिर, इसके बगल में मन्दाकिनी नामका कुंड है। जिसके तट पर राजा धारावर्ष की धनुषसहित मूर्ति और पत्थर के तीन भैसे खडे हैं / तट के पास ही मानसिंह का शिवमन्दिर है, जो सं० 1634 में धारबाईने बनवाया है / अचलेश्वर के बगल से अचलगढ़ तक पत्थर की मजबूत सीढ़ियाँ बनी हुई हैं, जो उपर चढ़ने का सुन्दर मार्ग है / गणेशपोल से अचलगढ़ की चढ़ाई शुरू होती है। मार्ग में दाहिने भाग पर लक्ष्मीनारायण का मन्दिर और
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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