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________________ (8) उपासरा और उपाश्रय के बगल में लगते ही एक जिनगृह है जिसमें श्रीशान्तिनाथ भगवान की भव्य और छोटी मूर्ति स्थापित है / जैनियों के थोडे घर होने पर भी जिन मन्दिर की पूजा वगैरह की व्यवस्था बडी अच्छी है जो प्रशंसा योग्य है / 68 ध्रांगध्रा-- यह एक बडा सुन्दर कसबा है जो एक नदी के किनारे पर वसा हुआ है / इसके चारों ओर पत्थर का पक्का कोट बना हुआ है जिसमें बाहर जाने आने के लिये चारों दिशा में एक एक दर्वाना है / यह काठियावाड के राज्यों में प्रथम दर्जे का राजस्थान है / यहाँ के नरेश झाला राजपूत हैं। शहर में अस्पताल, स्कूलें और पक्की सडकें हैं / यहाँ रेल्वे स्टेशन और शहर में तामरेल भी है / यहाँ श्वेताम्बरजैनों में तपागच्छ के 360 घर, पार्श्वचन्द्रगच्छ के 60 घर, और लोंकागच्छ के 400 घर हैं जो अपने अपने गच्छ के नियमों को पालन करने में बडे मजबूत हैं / यहाँ बडे दो मंजिले तीन उपासरे, एक धर्मशाला, दो थानक और तीन जिनमन्दिर हैं जिनमें एक में श्री संभवनाथ और दो में श्रीअजितनाथस्वामी की प्राचीन दिव्य मूर्तियाँ बिराजमान है / यहाँ के जैन विद्वान्, गुणानुरागी और सतसंगी हैं। 69 गाला यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 4 घर, एक उपासरा और एक प्राचीन जिनमन्दिर है जो संवत् 1217 का बना हुआ है।
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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