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________________ (87) की भक्ति करनेवाले और धर्मप्रेमी हैं / स्थानकवासी होने पर भी इस गाँव के जैनी मन्दिर-मार्गी और स्थानकवासी साधु साध्वियों की भक्ति समान भाव से और प्रेम पूर्वक करते हैं / यहाँ के जैनेतर लोग भी भक्ति-भाव वाले हैं। .. 65 सरा__यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 8 घर, स्थानकवासियों के 15 घर, एक उपासरा, एक थानक और एक शिखरबद्ध सुन्दर जैनमन्दिर है जिसमें मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की भव्य और प्राचीन मूर्ति विराजमान है / मन्दिर में सफाई, पूजा आदि का प्रबन्ध प्रशंसा के योग्य है / यहाँ के जैन सरल परिणामी और धर्मजिज्ञासु हैं। 66 कोंढ___ यह एक छोटा कसबा है, जो देखने में रमणीय है। यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 40 घर, स्थानकवासियों के 3 घर, एक उपासरा, एक छोटी धर्मशाला और एक शिखरवाला जिनमान्दर है। जिसमें भगवान् श्रीपार्श्वनाथस्वामी की भव्य प्राचीन मूर्ति स्थापित है / इसके अलावा गाँवके बाहर एक छोटी नदी के किनारे पर मयधर्मशाला के देखने लायक शंकर का मन्दिर है और एक पशुशाला है / यहाँ के जैन व्याख्यान सुनने, धार्मिक क्रिया करने और साधुभक्ति करने के भारी उत्सुक हैं / 67 जीवा-- ... इस छोटे गाँव में श्वेताम्बरजैनों के 8 घर, एक छोटा
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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