SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 591
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा लड़ाइयों में स्वयं साधारण सिपाहियों के साथ रहकर उनके नियमों का पालन करता था / जमीन पर सो रहता / हपतों घोड़े की पीठ पर बैठे बीत जाते थे। अपने को कठिनाइयों में डालकर वह हँसता था। कठिन शब्दों के अर्थ डेनमार्क और पोलैगड- यूरप के दो देश हैं / शिरस्त्राण- युद्ध में सर की रक्षा के लिए पहनी जाने वाली टोपी / कवच- युद्ध में शरीररक्षा के लिए धारण किया जाने वाला वस्त्र / पाठ 36 वाँ प्रकीर्णकपद्य जिय पूरव तो न विचार करे, अति आतुर है बहु पाप उपावै / नित प्रानँद-कंद जिनंदतने, पदपंकज सों नहिं नेह लगावै // जब तास उदै दुख भान परे, ... तब मूढ़ वृथा जग में विललावे / अब पाप प्रताप बुझावन "कोशन, ....... ......... भाग लगे पर कूप खुदावै /
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy