________________ (118) सेठिया जैन ग्रन्थमाला पाठ 34 वाँ वायु जीवनरक्षा के लिये तीन चीजों की अत्यन्त आवश्यकता हैघायु, पानी और अन्न / इनमें अन्न और पानी बिना तो आदमी कुछ समय तक जीवित रह सकता है पर वायु के बिना दस मिनट भी जीना असंभव है / जो वस्तु हमारे जीवन के लिए इतनी उपयोगी है और जिसपर हमारा जीवन निर्भर है, उसके उपयोग की रीतियों से अनभिज्ञ रहना अपना ही विनाश करना है / प्रकृति ने हमारे चारों ओर वायु को फैला रखा है। हमारे आसपास कोई ऐसी खाली जगह नहीं जहां हवा न हो। हमारी अज्ञानावस्था में भी यह वायु नाक और मुंह के रास्ते भीतर जाकर हमारी रक्षा करतो है / अतएव हमें उचित है कि हम उसके सम्बंध में पूर्ण जानकारी रक्खें / हममें से किसी को यदि गन्दा अन्न जल ग्रहण करने को कहा जाय तो वह विगड़ खड़ा होगा अथवा बुरामानेगा। किन्तु हम लोग वाय के सम्बंध में, जिसके विना जरा भी जीना असंभव है, ऐसी सावधानी नहीं रखते। नगरों में जाकर देखो, चारों ओर धूल, धुंधा है तथा नाना प्रकार की गन्दगियों से हवा भरी मालूम होगी। कितने ही लोग ऐसी तंग कोठरियों में एकत्र हो जाते है जिसमें बहुत कम हवा थाने की गुंजाइश रहती है / इस तरह अधिक ताजी औरशुद्ध हवा न श्राने से कोठरियों में नानाप्रकार के रोगों के कीड़े पैदा हो जाते हैं और उनमें रहने वालों को रोगी बनादेते हैं / महात्मा गांधी ने लिखा है कि सौ में निन्यानवे