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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (117) धर्मात्मा दानी पुरुष को पकड़ लाया और राजसभा में उपस्थित होकर कहा-"पृथ्वीनाथ! चारों वस्तुएँ प्रस्तुत हैं। अकबर ने पूछा कि कौन वस्तु किस श्रेणी को है इसे समझाकर बतायो / बीरबल बोला-"पहले प्रकार की यह वेश्या है / यह यहां सांसारिक सुख भोगती है पर मरने के बाद इसे नरक की अग्नि में जलना होगा। अतएव यह यहां है वहां नहीं / दूसरे साधु हैं / इन्हें कभी अन्न मिलता है, कभी नहीं। इसके अतिरिक्त ये महात्मा अपनी इच्छा से नाना प्रकार की तपस्या करते हैं / सरदी गरमी की परवाह नहीं करते और महल-श्मशान, आदर अनादर, सोना मिट्टी सब इनके लिए बराबर हैं। इन्हें इस संसार में सुख नहीं पर मृत्यु के बाद असीम सुख मिलेगा। अतः ये यहां नहीं पर वहां हैं। तीसरा यह पाखण्डी संन्यासी है / यह नित्य नगर की गलियों में भिक्षा मांगता फिरता है और नित्य नया ढोंग बनाकर लोगों को ठगता है। इसे न यहां सुख है और न वहां ही मिलेगा। इसलिए यह यहां वहां दोनों जगह नहीं है / चौथा यह धर्मात्मा दानी पुरुष है। यह अपने धन में दूसरों का दुःख दूर करने में कभी संकोच नहीं करता तथा सर्वदा धर्माचरण में लगा रहता है। इसको यहां भी सुख है और वहां भी सुख मिलेगा अतएव यह यहां वहां दोनों जगह है / यही आपकी चार वस्तुएँ हैं। बादशाह बीरबल की बुद्धिमत्ता से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने यथाचित आदर सत्कार करके सबको विदा किया। बच्चो बताओ तुम इनमें से किस श्रेणी के होना चाहते हो?
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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