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________________ ... 43 महाशय, जनाब, श्रीमान्, मित्र, मेहरबान, साहिब, बाबू, भाई भादि शिष्टाचार-सूचक शब्दों का लोगों के साथ बातचीत के समय यथायोग्य व्यवहार करो। 14 अपने पूज्य पुरुषों के सामने पैर पर पैर रखकर मत बैठो, और न उनसे उच्च आसन पर ही बैठो। 45 जब कोई पूज्य पुरुष अपने यहाँ आवे तो उसे उठकर मान दो और यदि आप स्वयम् किसी उच्च आसन पर बैठे हो तो उसे उस पर बिठाकर खुद किसी नीचे दर्जे के आसन पर बैठो। . . 46 यदि किसी का अपने ऊपर थोड़ा सा भी अहसान हो तो " मैं आपका आभारी हूं, बड़ी कृया की, मैं भापको धन्यवाद देता हूं साधुवाद" आदि शब्दों द्वारा कृतज्ञता प्रकट करो। . . 47 अपने पूज्य अथवा मान्य पुरुष के खड़े हुए बातें करने पर खुद बैठे न रहो। 48 किसी के प्रश्न का उत्तर कठोर बचनों से कदापि न दो 46 चलते समय ध्यान रखो कि पैरों से धूल न उड़े / और यदि उड़ती हो तो हवा के रुख को देखकर चलो, जिससे वह उड़कर किसी अन्य महाशय पर न गिरे / 50 थूकते समय या कुल्ली करते समय हवा के चलने का रख देखो, ऐसा न हो कि किसी मनुष्य पर जा गिरे।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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