SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 454
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला कुरंग--हिरण. . अहिफन- साँप का फन, वासव-इन्द्र व्याल- साप, भुजंग. विशेखिये.. विशेष रूप से पहचानिये. पाठ 30 पाश्र्वनाथस्तुति. . . . चौपाई। .... . प्रभु इस जग समरथ नहिं कोय / जा पैजस बरनन तव होय॥ चार ग्यानधारी मुनि थके / हम से मंद कहा कर सके // 1 // यह उर जानत निहचै कीन / जिनमहिमा बरनन हम कोन // मैं तुम भगति करैवाचाल / तिस बस होय गहूं'गुनमाल॥२॥ जय तीर्थकर त्रिभुवनधनी / जग चंद्रोपम चूड़ामनी // जय 2 परम धरम दातार / करमकुलाचल चूरन हार // 3 // जय सिव-कामिनि-कंत महंत / अतुल. अनंत चतुष्टयवंत // जय जगासभरन बड़भाग। सिव-लछमी के सुभग सुहाग // 4 // जय २धर्म-धुजा-धर धीर / सुरगमुकति दाता बर वीर // जय रतनत्रय रतनकरंड ।जय जिन तारन तरन तरंड // 5 // जय २समोसरन-सिंगार / जय संसय-वन-दहन तुसार // जय२ निर्विकार निर्दोष ! | जय अनंत गुन-मानिक-कोष॥६॥ जय 2 ब्रह्मवरजदल साज / काम-सुभट-विजयी भट-राज // जय 2 मोह-महानग-करी / जय 2 मद-कुंजर केहरी // 7 // क्रोध महानलमेघ प्रचंड . / मान-महीधर-दामिनि- दंड //
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy