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________________ हिन्दी बाल-शिक्षा कूपते विवर होय, पर्वततै घर होय; वासवतै दास होय, हितू दुरजन तैं। सिंघतै कुरंग होय, व्याल स्याले अंग होय; विष" पियूष होय, माला अहिफन तैं / विषमतें सम होय, संकट न व्यापै कोय, ऐते गुन होंय, सत्यवादी के दरसते / / 3 / / गुरु. (हरिगीतिका छंद) मिथ्यात दलन सिद्धांत साधक, मुकतिमारग जानिये। करनी अकरनी सुगति दुर्गति, पुण्य पाप बखानिये // संसार सागरतरनतारन, गुरु जहाज विशेखिये। जग माहिं गुरुसम कह बनारसि, और कोउ म देखिये // 4 // कविवर बनारसीदासजी भुजंगम--- साप, वारे-- डुबावै. तोरे बारे . . धाराघर--- बादल, कुंभनंद-- अगस्त्य ऋषि, अरणि दारु.. एक प्रकार की भूरुइ.- वृक्ष. लकड़ी. कन्द-- जड़. निशिमणि--चन्द्रमा, कलाप-- समुदाय. गयंद- हाथी, केलिभौन(भवन)-नाटकशाला विपाक- फल, . वारिधि- समुद्र, सागर, विवर-गड्ढा, गडहा,
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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