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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (66) Ans. अतिथि कहीं जब पा जाता है, वह आतिथ्य यहाँ पाता है। ठहराया जाता है ऐसे, कोई सम्बन्धी हो जैसे // 1 // जगती कहीं ज्ञान की ज्योति, शिक्षा की यदि कमी न होती / तो ये ग्राम स्वर्ग बन जाते. . पूर्ण शान्ति-रस में सन जाते // 11 // ____-मैथिलीशरण गुप्त. अभियोग-मुकदमा. गोपदचिह्नित-गाय के खुरों के निशान वाले. नन्दन विपिन- इन्द्र का वन. सन जाना लिप्त होजाना. पाठ 27 नीतिसंग्रह पहले लखिके दोष गुणे, फेर अरंभी काज / जाते मन को हो न दुख, लहौ न जग में लाज // 1 // सुनि के सबकी बात को, पहले ढूँढ़ो हेत / फिर उत्तर मुख से कहो, या विधि राखौ चेत // 2 // परनिंदा कर जो तुम्हें, देत बड़ाई पूर / मत भूलो या पै कहुँक, तुम्हें कहेंगे कूर // 3 // जो आपस में बैर करि, मिलैं और के साथ। वे भोगत हैं बहुत दुख, पड़ बैरी के हाथ // 4 //
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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