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________________ सेठियाजैनप्रन्धमाला यहां गठकटे चोर नहीं हैं, __ तरह तरह के शोर नहीं है / गुण्डों की न यहाँ बन आती, इज्ज़त नहीं किसी की जाती // 4 // सीधे सादे भोले भाले, हैं ग्रामीण मनुष्य निराले / एक दूसरे की ममता है, सब में प्रेममयी समता है // 5 // यद्यपि वे काले हैं तन से, पर अति ही उज्ज्वल हैं मन से। अपना या ईश्वर का बल है, अन्तः करण अतीव सरल है // 6 // छोटे से मिट्टी के घर हैं, लिपे पुते हैं स्वच्छ सुघर हैं / गोपद-चिहित आगन-तट हैं, ___ रक्खे एक ओर जल-घट हैं // 7 // खपरैलों पर बेलें छाई, फूलो, फली, हरी, मन भाई। काशीफल-कूष्माण्ड कहीं हैं, कहीं लौकिया लटक रहीं हैं // 8 // है जैसा गुण यहाँ हवा में, प्राप्त नहीं डाक्टरी दवा में / सन्ध्या समय गाँव के बाहर, होता नन्दन विपिन निछावर // 9 //
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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