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________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (29) अवश्य होनी चाहिये, एक खिड़की से काम नहीं चलता, क्योंकि सोने वाले हवा को दूषित करते हैं, दूषित हवा के निकलने और साफ हवा के अन्दर आने को आमने-- सामने खिड़कियों का होना बहुत ज़रूरी है। . . . 76 चित्त सोना भेजे को हानिकारक है; चित्त सोने से बुरे बुरे सुपने दिखाई देते हैं / यदि किसी को चित्त सोने की पादत हो, तो वह इसे छोड़ दे / सिर को तकिये पर इस तरह रखे कि मुँह और दोनों आँखें दाहिनी या बाई तरफ झुकी रहें / इस तरह सोना गुणकारी है / इसे पट सोना कहते हैं। दाहिनी या बाई का वट सोना हानिकारक नहीं है / निराहार सोना नजला पैदा करता है। भूग्व की हालत में सोने से शरीर क्षीण होता है। धूप में सोना अच्छा नहीं है। लेकिन चांदनी में सोना लाभदायक है / बहुत जागना गर्मी और खुश्की को पैदा करता है / सोने और जागने में समभाव रखना चाहिए, अर्थात् न बहुत सोना चाहिये मोर न बहुत जागना ही चाहिये। 80 बालकों को जो चीज नापसन्द हो, वह उन्हें जिद करके मत दो, इसका परिणाम अच्छ। नहीं होता। अगर बालक को धमकाना हो, तो कनपटी पर थप्पड़ मत मारो। ऐसा करने से बालक अक्सर बहरे हो जाते हैं।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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