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________________ (25) सेठियाजैनप्रन्थमाला चाल एकदम बन्द हो जाती है और प्राणी अपना कलेवर छोड़कर परलोक की राह लेता है। 76 जिस का मुख हमेशा खिला हुआ रहता है, जो हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है / जिस के मुँहपर शोक--रंज की छाया नहीं पड़ती, वह सदा तन्दुरुस्त रहता है, उससे रोग कोसों दूर भागते हैं / ऐसा मनुष्य सब का प्यारा भी बना रहता है। वलायत में एक मेम साहिबा ऐसी हैं, जो बचपन से आज तक कभी रंजीदा नहीं हुई, वे सदा हँसती रहती हैं / उन के सदा प्रसन्नचित्त रहने का यह फल है कि सत्तर वर्ष पार कर जाने पर भी, आज दिन, वह पूर्णयौवना युवती के समान बनी हुई हैं। 77 जो मनुष्य बहुत ही परिश्रम करता है, वह अनेक रोगों *से घिरकर प्राणों से हाथ धो बैठता है / जो समझ- बूझकर अप नी शक्ति के अनुसार, मिहनत करता है, शरीर को सुख देता है और कुछ समय खेल- कूद में बिताता है--- अपनी शक्ति के अनुसार कसरत करता है, वह बहुत दिनों तक जीता है और तन्दुरुस्त रहता है। ___ 78 रात में साफ़ हवा की विशेष आवश्यकता होती है / बन्द कमरों में सोना हानिकारक है / सोने के कमरों में वर्तन- भांडे और खाने पीने का सामान रखने से वायु का आना जाना रुकता है। सोने के कमरे में कमसे कम दो खिड़कियां मामने सामने
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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