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________________ हिन्दी बाल-शिक्षा AGAniruM अपजस सुन जीना बुरा, तातै पाछी मौत // 8 // अवसर लखिके बोलिये, जयाजोगता बैन / सावन भादौं वरसते सबही पावे चैन // 9 // बार--- जनक,पिता / कुर-निर्दय / वेलरी-बेल / विषम-भयंकर / तेता-- उतना। जेता ----जितना / पसारिये-फैलाइए। सोर-रजाई। मीत--- मित्र। भौत-बहुत,ज्यादा वैन-वचन / पाठ २२वाँ अविनीत बालक / किसी जगह एक लड़का था। उसका नाम कुमारपाल था। उसे उसके माता पिता और गुरुने बहुत समझाया, पर उसने विनय करना नहीं सीखा। ___एक दिन गुरुजी के किसी पड़ोसी का मकान गिर गया। वह पड़ोसी गुरुजी के पास आया / आ कर गुरुजी से बोला--महाराज! मेरा घर अचानक गिर गया है / मैं फिर खड़ा करूंगा। परन्तु मुझे एक खंभे
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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