________________ [7] 66 परोपकार करने में ढील न करनी चाहिए। 67 कडुआ, कठोर और लज्जाहीन वचन न बोलना चाहिए। . 68 मीठा सत्य और निरवद्य वचन बोलना चाहिए। 69 धर्म की बात खुले मुँह से-अयतना से न करनी चाहिए। 70 अंगीकार किये हुए व्रत और प्रत्याख्यान में दोष न लगने देना चाहिये। 71 पांचों इन्द्रियों-स्पर्शन रसना घाण चक्षु और कर्ण-के विषयों के वश में न होना चाहिए। 72 सांसारिक संबन्ध अस्थिर है , यह सदा याद रखना चाहिए। 73 धार्मिक सम्बन्ध ही सच्चा सम्बन्ध है। 74 पाखण्डी लोभी कुगुरु का संगन करना चाहिए। निर्लोभी सद्गुरु की सत्संगति करनी चाहिए। 76 सात व्यसनों-जुआ खेलना, मांस खाना, शराब पीना, वेश्या गमन करना शिकार खेलना, चौरी करना और परस्त्री गमन का सेवन न करना चाहिए। 77 अठारह पापों का त्याग करना चाहिए।