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________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला ... 104 वही मनुष्य, जिसने खुद को जीत लिया है, दूसरों पर विजय प्राप्त कर सकता है और वह उन्हें विकारों से नहीं प्रत्युत प्रेम से जीतता है / मूर्ख मनुष्य दूसरों को बुरा कहता है और अपने माप को सचा साबित करता है, लेकिन वह जो स्वत: बुद्धिमान् होता है, दूसरों को भला कहता है और खुदको बुरा। .. 105 वासना जीवन की नींव है, और शान्ति उसका मुकुट व शिखर | अगर किसी की इच्छा संसार को सुधारने की है तो उसे इसका प्रारंभ खुद से करने दो। 106 वह मनुष्य मूर्ख है जो अपने अज्ञान की सीमा नहीं जानता, जो स्वार्थी विचारों का आप गुलाम है और जो वासनाओं की लहर का आज्ञाकारी है। 107 वह मनुष्य बुद्धिमान् है जो अपनी अज्ञानता से परिचित है / जो स्वार्थी विचारों की असारता को समझता है और जो वासना की लहर पर अपना अधिकार रखता है। 108 मूर्ख मनुष्य अज्ञान के गढ़े में गहरा गिरता जाता है और बुद्धिमान् मनुष्य ज्ञान की सीढ़ी पर ऊंचा 2 चढ़ता जाता है। मुर्ख मनुष्य इच्छा करता है, भोगता है और मर जाता है। बुद्धिमान् भाकांक्षा करता है, आनन्दित होता है और जीवित रहता है। ___ उपयोगी कुछ वस्तुओं के गुण. 1 अंगूर- शीतल, रुचिकारक, शुक्रवर्धक, मलमूत्र कारक,
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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