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________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (ey का बड़ा होना है / नथने (नाक के छिद्र) बड़े होने से गउएँ साँस द्वारा अधिक हवा ले सकती है / जिनका चेहरा भरा हुमा, किंतु मांस-युक्त न हो, जिनकी भाँखें चमकीली पीछे का हिस्सा चौड़ा, थन बड़े-बड़े और दूर दूर हों, ऐसी गउएँ अच्छी समझी जाती हैं। धीमी आँख, पतला मुँह, छोटा स्तन, पतले पीछे के हिस्सेवाली गउएँ अच्छी नहीं होती / जो गऊ अपने अगले और पिछले पैरों को सटा-सटाकर खड़ होती हो उसे कभी नहीं खरीदना चाहिए / पैर फैलाकर खड़ी होनेवाली गउएँ अधिक दूध देती और अच्छी नस्ल की समझी जाती हैं। अच्छी गउओं का चमड़ा नरम, मुलायम और गठा हुमा होता है। उनकी पसली की हड्डियाँ तीन-तीन अंगुल की दूरी पर होती हैं / ऐसी गउओं की रीढ़ उठी हुई और उसके जोड़ सटेसटे होते हैं / गऊ खरीदते समय इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि उसकी पीठ टेढ़ी न हो / कंधे से पूंछ की जड़ तक जिन गउओं की पीठ सीधी हो, वे ही अच्छी होती हैं / जिन गउओं के थन लम्बे, चिकने और नीचे की ओर झुके हुए, किंतु जमीन को छूते हुए न हों, वे ही अच्छी समझी जाती हैं। धन बड़ा होने से उसमें अधिक परिमाण में दूध रहता है। अलग-अलग होने से दुहने में सुगमता होती है। 103 सज्जन मनुष्य अपनी वासनाओं को जीतते हैं और मूर्ख मनुष्य उनसे विजित होते हैं।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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