________________ नीति-शिक्षा-संग्रह 70 भाग्य क्षणभर में रंक को राजा, राजा को रंक, धनी को निर्धन और निर्धन को धनी बना देता है / ____ 71 लोभियों का शत्रु याचक और मूों का शत्रु शिक्षा देने वाला होता हैं, व्यभिचारिणी स्त्रियों का बैरी उनका पति और चोरों का बैरी चन्द्रमा होता है / 72 जिन को न विद्या है, न तप है, न दान है, न शील है, न गुण है और न कोई सत्कर्म है, वे इस पृथ्वी पर भाररूप होकर मनुष्य रूप में मृग फिर रहे हैं। ___ 73 अपात्र को शिक्षा देने का श्रम निष्फल होता है,जैसे मलयाचल के संग से बांस चन्दन नहीं होता, बांस हो बना रहता है / 74 जिसको गांठकी बुद्धि नहीं, उसको शास्त्र क्या कर सकते ; जैसे मांखों के अन्धे को दर्पण क्या कर सकता / 75 दुर्जन को सज्जन बनाने का संसार में कोई भी उपाय नहीं है / मन का त्याग करने वाली इन्द्रिय सौ वार भी धोई जाय, तोभी श्रेष्ठ इन्द्रिय नहीं हो सकती / - 76 बड़े पुरुषों के साथ बैर करने से मृत्यु होती है, शत्रु से द्रोह करने पर धन का क्षय होता है, राजा से शत्रुता करने पर नाश होता है और आत्मज्ञानी तपस्वीसे द्वेष करने पर कुल का क्षय होता है। 77 व्याघ्र और बड़े बड़े हाथियों से भरे हुए जंगल में वृक्ष के