________________ नीति-शिक्षा-संग्रह - (31) जाता है, इन्द्रियों में जड़ता आती और बुद्धि भी कहना नहीं करती है / एक ओर दुनियांके सब रोग तथा दूसरी ओर अजीर्णविकार से उत्पन्न हुए रोग, दोनों का समान प्रमाण माता है / (15) रसना इन्द्रिय से होने वाला आनन्द क्षणिक है और परिणाम में हानिकारक है। तलवार की अपेक्षा स्वाद इन्द्रियने बहुत जीवों का भोग लिया है। स्वाद की लालसा घटाकर जीवन को बचाओ / शरीर की रक्षा के लिए भोजन किया जाता है, न कि भोजन के लिए शरीर है / शरीर का स्वास्थ्य सादे सात्विक भोजन से ठीक बना रहता है; इसलिए स्वास्थ्य-रक्षा के लिए और अनर्थ से बचने के लिए सादा और सात्विक भोजन करना चाहिए। (16) आधि व्याधि कलह बकझक तथा विना प्रयोजन मारपीट सहना ये सब बातें कहां पाई जाती हैं? यदि ऐसा कोई मुझ से पूछे तो मैं उस को यही उत्तर दूंगा कि जहां शराबी लोग मिलकर शराब पीते हैं, वहां यह सब बातें पाई जाती हैं / (१७)परिश्रम सब कठिनाइयों का पराभव करता है | योग्य परिश्रम स्वयं भानन्दरूप है। जैसे लोहा जंग से खराब हो जाता है, वैसे ही शरीर आलस्य से निकम्मा हो जाता है / (१८)मज्ञानी और पापी को ही मृत्यु का भय होता है।ज्ञानी और पुण्यशाली को मृत्यु माङ्गलिक क्रिया के समान आदरणीय होती है।