________________ सेंठियाजैमग्रन्थमाला चित्र को न फाड़ डाले / यदि आप को इन बातों की परवाह न हो तो श्राप दूसरे लोगों से पुस्तके मत मांगिये- नहीं तो वे इन्कार कर देंगे। या आपको कुछ खरी खंटी कह देंगे तो आप को बुरा लगेगा। ___65 यदि मांगी हुई पुस्तक खो जावे या खराब हो जावे तो उस के मालिक को उसके बदले में नई पुस्तक मँगाकर हो / क्योंकि उसने आप को पढ़ने के लिये पुस्तक दी थी न कि खोने या खराब करने के लिये। ..66 पुस्तक यदि पढ़ने के लिये मांगकर लाये हो तो उसे शीघ्र ही लौटा दो। देनेवाले के मांगने की राह मत देखो / यदि पढ़ने के लिये फुरसत नहीं है तो पुस्तकों को व्यर्थ ही ला लाकर अपने घर में ढेर मत करो / अवकाश न हो तो विना - पढे ही लौटा दो, फिर जब कभी फुरसत हो तब मांग लाना / 67 किसी के साथ साथ चलते समय दूसरे के चलने की सुविधा का ध्यान रखो। कंधे से कंधा भिड़ाकर चलना तथा अपनी चाल को उस की ताफ इवाकर उस को एक तरफ घुपेड़ देना या रास्ते से हटा देना अनुचित नहीं है; यह सब आदत सी पड़ जाती है, अतएव इस आदत की छड़ दो। ___68 ज़बानी बातों का उत्तर जबान ही से दो; और लिखत बातों का उत्तर लिखकर ही दो। लिखे हुए का जवान से और जवानी का लिखकर विना किसी कारण विशेष के जवाब मत दो / खासकर वाद-विवाद के समय इस बात का बहुत ही ध्यान रखना चाहिये।