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________________ गृहिप्रसंगे उपदेशमालाविशेषवृत्तौ ॥३०७॥ कथा । ॥ विहरइ पुरस्स तस॥ बलसामग्गीए अपचलो अआसुरुत्तचित्तो, तत्तो पता ९॥ नगरोवरोह KPorne कहिया विहिया विहिणा, जा जुवई रूवसीमव्व ॥ ७३ ॥ अइरत्तमत्तचित्तप्पवित्तिणा तेण दूयओ तत्तो। निवइस्स धुंधुमारस्स, पेसिओ सुसुमारपुरे ॥ ७४ ॥ मग्गइ आगंतूणं, पज्जोयनिमित्तमेस तस्स सुयं । साहंकारं तो सो, न देइ निच्छुभइ दूर्य च ॥७५|| IN निग्गंतुं सो सव्वं, दुगुणमवमाणदूमिओ दूओ। उजेणीए पज्जोयराइणो वज्जरेइ पुरो ॥ ७६ ॥ अइआसुरुत्तचित्तो, तत्तो पत्तो स सव्वबलकलिओ । परिवेढिऊण गाढं, बाढं बाहिं ठिओ तत्थ ॥ ७७ ॥ बलसामग्गीए अपञ्चलो त्ति निञ्चलमणो वि रणरंगे । नगरस्संतो पविसित्तु, धुंधुमारो वि जावेइ ॥ ७८ ॥ विहरइ पुरस्स तस्स य, अंतो वारत्तमहरिसी तइया । चिद्वेइ नागपडिमाघरंमि झाणप्पहाणमणो ॥ ७९ ॥ नगरोवरोहसंवाहबाहिओ धुंधुमारनरनाहो । नेमित्तिगमापुच्छइ, भयभीओ किं पलाएमि ॥८॥ नेमित्तिओ निमित्तं, जा जोयइ चच्चरंतरपएसे । रममाणाणि निरिक्खइ, ताव तहिं डिंभरूवाई ॥ ८१ ॥ तासेइ ताणि तत्तो, निमित्तगणाय किंतु कुवंति। मं भीसियाणि वारत्तगेण अभयाणि जायाणि ॥ ८२ ॥ लद्धनिमित्तो नेमित्तओ तओ वजरेइ विजयं से । संनद्धबद्धकवओ, सुद्धं लध्धूणलग्गबलं ।। ८३ ॥ पोलिकवाडे उग्धाडिऊण तो धुंधुमारनरनाहो । भोयणपमत्तचित्तं, पज्जोयं बंधिउं लेइ ।। ८४ ॥ वक्ति च-" प्रतिष्ठां यन्निष्ठां नयति नयनिष्ठां विघटयत्यकृत्येष्वाधत्ते मतिमतपसि प्रेम तनुते । विवेकस्योत्सेकं विदलयति दत्ते च विपदं, पदं तद्दोषाणां करणगणलाम्पट्यमसमम् ॥ ८५ ॥” मज्झे पुरस्स पविसित्तु, | पोलिदारे तहेव दावेइ । हयगयरहाइ गिन्हेइ, तस्स नीसेसभंडारं ॥ ८६ ॥ भणइ स ते कत्थ गओ, अभिमाणो मेरुमंदिरसमाणो। पोरिसवाओ निव्वायनगरखित्तस्स सोवि गओ ॥ ८७ ॥ किं ते करेमि संपइ, स आह जं ते मणस्स पडिहाइ। अहुणा न कुणसि जं तेण, तुज्झ दूमिस्सए हिययं ॥ ८८ ॥ अह आह धुंधुमारो, मा मा जंपेसु पत्थिव ! तमेवं । तुह पुरओ कोऽहं अप्पसव्वसेणापरीवारो ॥ ८९ ।। विसमदसावडिओ वि हु, तुम तुम चेव तुह समो नऽन्नो । 'जलसंकतो वि धुवं, सहस्सकिरणो दुरालोओ' ॥९०॥ दिवसवसाओ जाओ वि जाओ राहुप्पहावपयपहो । खणमेत्ताओ मित्तो, अहिययरं किं न दिप्पेई ॥९॥ ता तुह चिंतेमि अमंगुलं, न मंगलमओ सया होसु । अंगारवइं सिंगारसारणिं सुयण ! परिणेसु ॥ ९२ ॥ महया सक्कारेणं, accacaacoKPCOC ॥ ३०७॥
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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