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उपदेशमाला-N विशेषवृत्तौ जम्बुचरित्रे ॥१३१॥
तओ समीहामि । इह वि भवे पव्वइऊण, पज्जुवासामि तुम्ह पए ।। ९७ ॥ नवरं अम्मापियरो, पुच्छामि सुसामि ! नियहियद्वाए।। भणियं मुणिणा मा धेहि, धीर! पडिबंधमेत्थ तुमं ॥९८।। सगिहे स गओ विन्नवेइ, अम्मापिऊ वयदाए । पभणंति ताणि तं चेव, IN वच्छ ! एगो सुओ अम्हं ॥ ९९ ॥ सरणं ताणं दीवो, तं चिय सग्गो व अहव अपवग्गो । तइ विरहियाणि अम्हे, पुत्तय ! प्रत्रज्याअंधाणि बहिराणि ॥१००॥ तुह आयत्ता पाणा, अम्हाणं दिक्खिए तुमंमि तओ। घरधत्ति(ल्लि)यससया विव, पुत्त ! पलायति ते निश्चयः। झत्ति ॥ १॥ बहु भणियाणि वि जा ताणि, नेव मुंचंति संजमाय तओ। सावज्जजोगविरओ, जइ व्व जाओ धिइसहाओ ॥२॥ न रमइ न जिमइ जंपेइ, नेव वेरग्गमग्गलग्गमणो। अंतेउरेगदेसे वसेइ सुन्ने जहा रन्ने ॥ ३॥ विविहपयारेहिं पयंपिओ वि पियरेहिं पउरपउरेहिं । जाव न मन्नइ सो किंपि, ताव रन्ना विसन्नेण ॥ ४॥ सदाविय सिद्विसुओ, दढधम्मो सावगो विवेगनिही । पयडियतत्तं वुत्तो, कुमरो जह जिमइ तह कुणसु ॥ ५॥ इय कुणमाणेण तए, जीवियमम्हाणमप्पियं होइ । जहसत्तीए जइस्सं ति, तस्स पासंमि सो जाइ ॥ ६॥ पविसइ निसीहियाए, इरियावहियं पडिक्कमिऊण । वंदइ दुवालसावत्तवंदणेणं जइजणं व ॥ ७ ॥ अणुजाणावित्तु पमज्जिऊण पासे सिवस्स उवविसइ । चिंतइ सिवो जइस्स व, मह विणओ गेण किं विहिओ ॥८॥ पुच्छामि ताव भो इब्भपुत्त ! सो वत्तिओ तए विणओ। जो सागरदत्तगुरूण, किज्जमाणो मए दिवो. ॥ ९॥ किमहमरिहामि तं ताण, पायपंकयपरागपरमाणू । स भणेइ भग्ग मोणारंभं ठूण तं तुट्ठो ॥ ११० ।। जइ वि जईण स जुज्जइ, तहावि विजइ तुहावि कजेण । विणओ धम्मस्स धुवं, भणिओ जिणसासणे मूलं ।। ११ ।। यतः-" मन्त्राः संतन्त्रास्त्रिजगत्पवित्राः, शुभप्र(दे) वेशाः स्थविरोपदेशाः । विद्याऽनवद्या त्रिदशौघवन्द्या, श्रयन्ति सन्तं सततं विनीतम् ।। १२ ।” जह जइजणस्स निस्समसंजमसंजायसुद्धलेसस्स । तह उचिओ कायव्वो, विणओ सुसावयस्सावि ॥ १३ ॥ जं पुण दुवालसावत्तवंदणं दिजए जइजणस्स । तं IN तुज्झ मए दिन्नं, भावजई जमसि संजाओ ॥ १४ ॥ न जिमसि न जंपसे, केण हेउणा भणइ सिवकुमारो। तो दढकयवय
॥ १३१॥ परिणामस्सऽवस्सकायव्वमेयं मे ॥ १५ ॥ जावऽज्जवि पवजे, पवजिउं दिति नेव पियराणि । नणु ताव भावसाहू, होऊण गि
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