________________
बाहुबलिसंय|मग्रहणम् ।
DDeleva
उपदेशमाला
अहह चितिउ दुडु अपइछ सो भरहु सो बाहुबलि एकमुगह बे दल इमेरिस, नियबंधवि मारियई जास रिद्धि मा होउ IN| तारिस । बलधणजीवियजोव्वणह गारवु कोइ करेइ, सउ घरि घल्लिय(उ) ससउ जिम्व जंतु न वत्त कहेइ ॥ ९४ ॥ विशेषवृत्तिः
मज्झ भाउय ते महाभाग बिहिऊणउ एक्कु सउ विसय जेहिं विसतुल्ल दिवा, इह परभवतावकर कडुविवाग मुहमित्तमिट्ठा। ॥६७॥
तायह पायपसाई परु सजिउ संजमरज्जु, उप्पाडिवि तं नाणवरु किउ परलोयह कज्जु ॥ ९५ ॥
अहह भरहु विमुक्कमज्जाउ अइलंपडु लुद्धमणु भरहखेत्तु छक्खंडु दंडइ, धणु लुंपइ वप्पहइ जलणु जेव नहु किंपि छड्इ। लेउतभुक्खिउ तक्खसिल मई मुक्कउ मणि रोसु, 'एव हि तायह पायगइ गउ चित्तह खंखोसु ॥ ९६ ॥ ___ ताव मुक्कउ चक्कु सहु कोवि आभरण-आउह-कुसुम, काई कज्जु किर रज रद्विहिं, उप्पाडइ केस सिरि वज्जसारनियपंचमु| द्विहिं । संजमलिंगु असंगुभणि अप्पइ सासणदेवि, तो नवमुणिं पणमइ भरहु सहु राणिहिं आवेवि ॥ ९७ ॥
तुह कुलकमु एहु निम्बूढुह उजित्तउ विहिपरिहिं पई तुहम्गि को गव्वु नाडइ, नियवंसह सिरिकलसु अवरु कउणु वाडइसिराडइ । पई परि तिहुअण धवलहरु धवलिउ नियजसवाइ, इअ सुथुणंतउ चक्कवइ क्यालिउ पडिहाइ ॥ ९८ ॥
अह सुचिंतइ मुणि महाबाहु परमेसरपासि हउँ जाउ किंतु वरनाणहीणउ, मह केवलिबंधु स विजंतु तेण लज्जलं सुदीणउ । ता उप्पाड ताव लहु एत्थु जि केवलनाणु, अह परमेसरसम्मुहउं हउं करेसु पत्थाणु ॥ ९९ ॥
करिवि एरिसु चित्तु निकंपु पालंबिय पाणिजुगु नासअग्गसंलग्गलोयणु, मणि निम्मउ थंभु जिव काउसग्गु कप्पेइ सोहणु । अच्छइ संवच्छरु सुथिरु मुणिवरु निरसणपाणु, परमप्पय संपयपउणु निश्चलु झायइ झाणु ॥ १०॥
१ एय D। २ चा। ३ अप्पु B DI
ZDepeareemeroeDomperemona
20ccccc
॥६७॥