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सिद्धांत
॥८५॥
जन्मक. (उत्तराषाढामां राज्य बेठा) उत्त० नक्षत्रमा संयम लीधो, ए त्रीजु क०, उत्त० नक्षत्रमा केवलज्ञान पाम्या, ए चोधुं क०, अभिजीत न०मां मोक्षे गया, ए पांचमुं कल्याणक०, हवे त्रीजो आरो उतरीने चोथो
छआरानो आरो बेठो, त्यारे वर्णादिकना अनंत पर्यवहीन थया. ए आरानो काल एक कोडाकोडी सागरो० मा ४२
विचार हजार वर्ष ओछो जाणवो. ए आरो दुषम सुषम नामे छे, दुःख घणु ने सुख थोडं होय. ए आराने विषे||
॥८५॥ पांचसो धनुष्यनु देहमान ने क्रोड पूर्वन आयुष्य. उतरते आरे सात हाथर्नु देहमान ने सो वर्ष झाझे आयुष्य जाणवू. ए आरे ३२ पासली होय, उतरतां १६ पांसली. ए आरे आहारनी इच्छा दररोज उपजे, त्यारे पुरुषो | माटे ३२ कवल अने खी माटे २८ केवल धरतीनी सरसाइ, घणी सारी जाणवी. उतरते आरे थोडी सारी. ए आराने विषे संघयण छ संठाण छ होय. ए आराना छेवटे ७५ वर्षने ८॥ माम बाकी रह्या. त्यारे दशमा प्राणत देवलोकथी चवी बीश सागरोपमर्नु आयुप्य भोगवीने माहणकुंड ग्रामने विषे ऋषभदत्त ब्राह्मणने घरे देवानंदाजीनी कुंखे महावीरस्वामी उपना. त्यां प्रभु ८२ रात्रि रह्या, ८३मी रात्रिना अंतराले शकेंद्रनुं आसन कंप्यु:131 त्यारे उपयोग मूकीने जोयुं तो प्रभुने भिक्खागकुलेउपना दीठा. ए अच्छेरूं थयं, अनंतकाले एवा अच्छेरा थाय एम जाण्यु, पछी हरण गमेषी देवने आज्ञा करी; तमे श्रीमहावीरस्वामीने देवानंदाजीनागर्भमांधी संहरण करीने क्षत्रियकुंड ग्रामने विष सिद्धार्थ राजाने घेर, त्रिशला देवीनी कुंखे संक्रमावो अने त्रिशलादेवीनी कुंवमां पुत्री
, नपुंसक माटे २४ कवल. आ णे माटे जे संख्या कवळनी कहेल छे ते प्रायिक छे. सामान्य नियम छे परंतु सिद्धांत नथी.