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________________ सिद्धांत रहस्य ॥८३॥ विरोध के इर्ष्या वगेरे न होय सरल स्वभाव ने अल्पकषायवाळा जीवो होय. हवे पहेलो आरो उतरीने बीजो आरो बेटो त्यारे वर्ण, गंध, रस अने स्पर्शना पर्यव अनंत हीन थया. ए आरो ऋण कोडाकोडी सागरोपमनो सुषम नामे एक सुग्व जाणवु. ए आराने विषे वे गाउनुं देहमान अने वे पत्यनुं आयुष्य होय. १२८ पांगली होय, भक्ते आहारनी इच्छा उपजे; बोर प्रमाणे आहार करे. धरतीनी सरसाइ खांड सरखी होय अने उतरते आरे एक गाउनुं देना अने एक पल्यनुं आयुष्य होय. ६४ पांसली होय. संघपण वज्रऋषभना०, संठाण समुचउरंस होय. दश प्रकारना कल्पवृक्ष मनोवंच्छित सुख आपे छ मास आयुष्य बाकी रहे त्यारे परभवतुं आयुष्य बांधे. पछी युगलिनी एक जोडलं प्रसवे. ६४ दिवस प्रतिपालना करे. छेवटे मरीने देव थाय. शेष पूर्ववत्. हवे बीजो आरो उतरीने बीजो बेटो. त्यारे वर्णादिकना पर्यव अनंत हीन थया. ए आरो वे कोडाकोडी सागरोपमनो जाणो.ए आरो सुषभ दुपम नामे जाणवो, एमां सुख घणुं ने दुःख थोडं. ए आराने विषे एक गाउनुं देहमान ने एक पल्यनुं आयुष्य होय. ३४ पांसली होय, धरतीनी नरमाइ, गोळ मरची जाणवी. चोथ भक्ते आहारनी इच्छा उपजे, आमला प्रमाणे आहार करें, वज्रक० मं० ने समच० संठा० होय. दशप्रकारना कल्पवृक्ष मनोच्छित सुख आपे छ माम आयुष्य बाकी रहे त्यारे परभवनुं आयुष्य बांधे पछी युगलिणी एक जोडलं प्रसवे, तेथी ७९ दिवसनी प्रतिपालना करे. मरीने देव थाय. उतरते आरे पांचसो धनुष्यनुं देहमान ने क्रोड पूर्वनुं आयुष्य होय. ३२ पांसली, छ संघयण ने छ संठाण होय. पांचे गतिमां जाय. ए आरानो छआरानो विचार ॥८३॥
SR No.023509
Book TitleSiddhant Rahasya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Upadhyay
PublisherGangji Virji Shah
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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