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लेश्या विचार
।।२१४॥
बंताक (रांगणा )ना पुष्प वगेरेना रंग जेवी छे. तेजोलेश्या, पद्मरागमणि हींगलो अने परवाला वगेरेना रंग सिद्धांत
४ा जेवी लाल छे. पद्मलेश्या, सुवर्ण चंपाना फूल अने कणेरना पुष्प वगेरेना रंग जेवी पीळी छे. शुक्ल लेश्या, रहस्य
गायना दूध-दहिं, समुद्रफीण अने शरद् ऋतुना वादळा वगेरेना रंग जेवी धोळी छे. कृष्ण लेश्यानो रस कडवी ॥२१४॥
तुबडी, लींबडो अने कडु वगेरेना रस जेवो कडवो छे. नील लेश्यानो रस, पीपर, आदु अने शूठ वगेरेना रस जेवो तीखो छे. कापोत लेश्यानो रस काचां बिजोरां, कोठ अने आमला वगेरेना रस जेवो खाटो रस छे. तेजो लेश्यानो रस पाकेला आंबाना रस जेवो छे. पद्मलेश्यानो रस द्राक्ष, खजुर अने इक्षु (शेलडी)ना रस जेवो मधुर छे. शुक्ल लेश्यानो रस गोळ, खांड अने साकरना रस जेवो मधुर छे. पहेली त्रण लेश्यानो गंध गायना सर्पना अने हाथी वगेरेना मडदांना दुर्गधथी अनंतगुणो दुरभिगंध छे. पाछली त्रण लेश्यानो गंध, सुगंधी पुष्पो (चंपा वगेरे )ना सुगंधथी अनंतगुणो सुरभिगध छे प्रथमनी त्रण लेश्याओनो स्पर्श, गायनी जीभ अने कर| वतना स्पर्शथी पण अनंतगुणो कर्कश छे. छेल्ली त्रण लेश्याओनो स्पर्श, माखण बूर अने सरसवना फूलथी पण
अनंतगुणो कोमल छे. पहेली त्रण लेश्याओ अप्रशस्त (अशुभ) छे अने पाछलनी त्रण लेश्याओ प्रशस्त (शुभ) दछ. पहेली त्रण लेश्याओ संक्लिष्ट छे अने पाछली त्रण लेश्याओ असंक्लिष्ट छे. प्रथमनी त्रण लेश्याओ, शीत
| अने रुक्ष स्पर्शवाली छे अने पाछली त्रण लेश्याओ, उष्ण अने स्निग्ध स्पर्शवाली छे. पहेली त्रण ले० दुर्गतिनी | देनारी छे अने पाछली त्रण ले० सुगतिनी देनारी छे. वळी जेम वैडुर्यमणि, भिन्न भिन्न सूत्रना संसगथी विविध
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