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थोकडासंग्रह
सिद्धांतरहस्य
भा०१
॥६॥
काया, जीभ, नासिका अने आंख (चक्षुःइन्द्रिय) होय तेने चउरिन्द्रिय कहीए तेना नाम मांखी, मसला, दास, मच्छर, भमरा, तीड, पतंग, करोलिया, कंसारी, वीच्छु, खडमांकडी, बगाइ, धुलिया, फूदा, इत्यादि घणी जातिना चउरिंद्रिय जीवो छे. तेना कुल नवलाख क्रोड छे. अवगाहना ज० अंगुलना असंख्यातमा भागनी उ० एक योजननी छे. तेनुं आयुष्य ज० अंत. अने उ० छ भासतुं छे. तेनी दया० ॥ पंचेंद्रियना बे भेद अप० ने पर्या. पंचेंद्रिय ते कोने कहीए? जेने काया, जीभ, नासिका, आंख अने कान (श्रोत्रेन्द्रिय) होय तेने पंचेन्द्रिय कहीए. तेना चार भेद १ नारक, २ तिर्यंच, ३ मनुष्य अने देव. तेमां चौद भेद नारकना, अडतालीस भेद तिर्यंचना, त्रणसे त्रण भेद मनुष्यना अने एकशो अठाणु भेद देवना. मनुष्यना चार भेद-१ पन्नर कर्मभूमिना मनुष्य, त्रीश अकर्म भूमिना मनुष्य, छप्पन अंतरद्वीपना मनुष्य अने चौद स्थानकना समूच्छिम मनुष्य. देवना चार भेद-१ भवनपति, २ व्यन्तर, ३ ज्योतिष्क अने ४ वैमानिक. नारकना कुल पच्चीशलाख क्रोड छे. तियेचना कुल साडत्रेपनलाख क्रोड छे. मनुष्यना कुल बार लाख क्रोड छे अने देवना कुल छवीश लाख क्रोड छे- अवगाहना नारकीनी ज. अंगु० असंख्या छे अने उ० पांचसे धनुष्यनी छे. मनुष्यनी
तिर्यच पंचेंद्वियना २० भेदमा एकैद्रियादिना ८ भेद मेळवता ४८ थाय छे..
२ साडाबार लाख क्रोड जलचरना, १० लाख कोड थलचरना. १० लाख क्रोड उरपरिसर्पना, ९ लाख कोड भुजपरिसर्पना, १२ लाख क्रोड खेचरना, सर्व मली ५३॥ लाख कोड..
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