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________________ पुरिसं पासइ । जुण्णं जराजज्जरियदेहं [जाव] महइमहालयाओ इट्टगरासिओ एगमेगं इट्टगं गहाय बहिया. रत्थापहाओ अंतोगिहं अणुप्पविसमाणं पासइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स पुरिसस्स अणुकंपणट्ठाए हत्थिखंधवरगए चेव एग इट्टगं गेण्हइ । गेण्हित्ता बहिया 5 रत्थापहाओ अंतोगिह अणुप्पवेसेइ । तए णं कण्हेणं वासुदेवेणं गाए इट्टगाए गहियाए समाणीए अणेगेहिं पुरिससरहिं से महालए इट्टगस्स रासि बहिया रत्थापहाओ अंतोघरंसि अणुप्पवेसिए । तए णं से कण्हं वासुदेवे बारवईए नगरीए 10 मझमझेणं निग्गच्छइ । निग्गमित्ता जेणेव अरहा अरिट्ठणेमी तेणेव उवागए । उवागमित्ता [जाव वंदइ नमंसइ । वंदित्ता नमंसित्ता गयसुकुमालं अणगारं अपासमाणे अरहं अरिट्ठणेमि वंदइ नमसह वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी । 15 “कहि णं भंते ! से ममं सहोदरे कणीयसे भाया गयसुकुमाले अणगारे जो णं अहं वंदामि नमंसामि।" तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी। 20 “साहिए णं कण्हा ! गयसुकुमालेण अणगारेणं अप्पणो अढे ।” तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिटणेमि एवं वयासी। "कहण्णं गयसुकुमालेणं अणगारेणं साहिए 25 अप्पणो अठे ?।"
SR No.023493
Book TitleAntagadanuttarovavaiyadasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM C Modi
PublisherGurjar Granth Ratna Karyalay
Publication Year1932
Total Pages354
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size18 MB
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