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अध्यात्मविचारण ब्रह्मवादमें ८४-५;-में जीवात्मा- | वृत्ति, क्लिष्ट अक्लिष्ट १०७,१०६,के स्वरूपके बारेमें चर्चा ६३ | चक १०७ से;-रामानुज, मध्व, वल्लभमें | वेद ५,८६,५३,५५,७६ ८५.६
वेदना ४१ विद्या १८,१२३;-के पर्याय अक्ष- वेदान्त-उपनिषद् ७६
पाद, जैन, बोद्ध और पतंजलि- वैकुण्ठ ८६ में १८ की नित्यताका | वैदिक दर्शन ६५-६,६८ स्पष्टीकरण १२३.
वैदिक मंत्र है । विद्यारण्यस्वामी १०५
वैभाषिक ७४-५;-में निर्वाणविपस्सना १८
स्वरूप ७५ विभज्यवादी ४२
वैराग्य ११०,११२,-पर और विभुपुरुषवादी ६६
अपर ११३-४ विरति १०४
वैशेषिक ३८,६७-८;--में आत्मवाद विवर्तवादी ५७ विवेकख्याति १८,१२६-३०,-की। व्युत्थान १०८,१२१
बौद्धसम्मत प्रज्ञा तथा जैन- शंकराचाये (शंकर ) ३३, ६७, सम्मत केवलज्ञानके साथ ७४, ७८,
शरीर ८४, ८७ तुलना १२५-६
शाकर भाष्य ४१ (पा. टि.) विवेकानन्द १३२
शान्तरक्षित १२४ (पा. टि.) विशिष्टाद्वैतवादी ६८; ८५
शाश्वत ४४,६४;-वाद ६४ विशुद्धिमार्ग (विसुद्धिमग्ग) १५ (पा.
। शील ४०,१०२,१०४.५;-सम्पत्तिटि.) ४० (पा.टि.) ११२,११३
विपत्ति १०५ (पा. टि.) ११५-६ (पा. टि.)
शून्यवाद ७८ विश्वकर्मा ५४-५
श्चरबात्स्की ७५ विष्णु ६८,८६
श्रद्धा ११५ वीर्य ११५
श्वेताम्बर ७६