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________________ १४६ अध्यात्मविचारण ब्रह्मवादमें ८४-५;-में जीवात्मा- | वृत्ति, क्लिष्ट अक्लिष्ट १०७,१०६,के स्वरूपके बारेमें चर्चा ६३ | चक १०७ से;-रामानुज, मध्व, वल्लभमें | वेद ५,८६,५३,५५,७६ ८५.६ वेदना ४१ विद्या १८,१२३;-के पर्याय अक्ष- वेदान्त-उपनिषद् ७६ पाद, जैन, बोद्ध और पतंजलि- वैकुण्ठ ८६ में १८ की नित्यताका | वैदिक दर्शन ६५-६,६८ स्पष्टीकरण १२३. वैदिक मंत्र है । विद्यारण्यस्वामी १०५ वैभाषिक ७४-५;-में निर्वाणविपस्सना १८ स्वरूप ७५ विभज्यवादी ४२ वैराग्य ११०,११२,-पर और विभुपुरुषवादी ६६ अपर ११३-४ विरति १०४ वैशेषिक ३८,६७-८;--में आत्मवाद विवर्तवादी ५७ विवेकख्याति १८,१२६-३०,-की। व्युत्थान १०८,१२१ बौद्धसम्मत प्रज्ञा तथा जैन- शंकराचाये (शंकर ) ३३, ६७, सम्मत केवलज्ञानके साथ ७४, ७८, शरीर ८४, ८७ तुलना १२५-६ शाकर भाष्य ४१ (पा. टि.) विवेकानन्द १३२ शान्तरक्षित १२४ (पा. टि.) विशिष्टाद्वैतवादी ६८; ८५ शाश्वत ४४,६४;-वाद ६४ विशुद्धिमार्ग (विसुद्धिमग्ग) १५ (पा. । शील ४०,१०२,१०४.५;-सम्पत्तिटि.) ४० (पा.टि.) ११२,११३ विपत्ति १०५ (पा. टि.) ११५-६ (पा. टि.) शून्यवाद ७८ विश्वकर्मा ५४-५ श्चरबात्स्की ७५ विष्णु ६८,८६ श्रद्धा ११५ वीर्य ११५ श्वेताम्बर ७६
SR No.023488
Book TitleAdhyatma Vicharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghvi, Shantilal Manilal Shastracharya
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1958
Total Pages158
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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