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अनुक्रमणिका
ताका निरूपण १५; इनका उद्गम र विकासक्रम ३४ से; - मीमांसा दर्शन में ३८; - वैशेषिक दर्शन में ३८;
८, ११, २४
श्रात्मवादी
आत्माद्वैतवाद
श्रात्मा-परमात्मा
ra
३१
६
३, ४,
२६
मौपम्य
११४, १२०
आधिदैविक
६१
श्रधिभौतिक
६१
आध्यात्मिक - अनुभवकी एकताका स्वरूप, निरूपणका भेद होने - पर भी - ६०; - जिज्ञासा ५; - दुःखका कारण श्रविद्या, देखो 'विद्या'; - परंपराओं में चार सत्यका साम्य ६६; - मनुष्य ही देवाधिदेव जैन-बौद्ध परम्परा में, कर्ता या फलदाता नहीं
५६
- अथवा
आध्यात्मिक साधना ६१ ;जीवन विषयक मुख्य चार सिद्धान्तोंका निरूपण १३ से;की सब दर्शनोंमें एकता, चिकित्सा शास्त्र के चार सिद्धान्तोंके साथ तुलना ह२-३; के चार सिद्धान्त : हेय, हेयहेतु,
१३५
हान और हानोपाय ९३; देखो 'सत्य' - के प्रकार (हानोपाय ) की वैदिक, जैन और बौद्धकी तुलना १०२ से; -का क्रमविकास १२७; —का निरू पण आजीवक, जैन, बौद्ध, योगशास्त्र और योगवासिष्ठ में
१२७-८; - का विस्तार ही हानोपाय या मोक्षमार्ग नामका तीसरा सत्य १०२; - - पातंजल सम्मतकी जैन-बौद्धके साथ तुलना १०२ से श्रानन्द, चेतनकी भूमिका आर्य अष्टांगिक मार्ग
आर्य सत्य
१०१
१०२
६५
७७, ८२
८१
आसन
१०३
आस्तिक
१०,
११
आस्रव ९५, १०९;-- कायिक, वाचिक, मानसिक योग और जैन
सम्मत
श्रालय विज्ञान श्रावरण विलय
१०६
इण्डिया एज़ नोन टू पाणिनी १० इन्द्र बिरोचनकी आख्यायिका १२ इन्द्रियात्मवाद १३ ( पा. टि. ) इस्लाम
६०
क्षण
२०