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________________ १३४ अध्यात्मविचारणा अवेस्ता मिथ्यादर्शन ११०;-का पर्याय | श्राचारप्रणाली ८८ 'मोह' न्यायमें १६;-का आचारांग १४ (पा. टि.);-सूत्र विषय १२१;- बौद्धसम्मत | । ५६ (पा. टि.), ८३ (पा. टि.) ९७-मूलक्लेश ६६- आजीवक ६५, ६६, १२७ संसार या दुःखका कारण १६, प्रात्म-अणुत्ववादी ८४;-बहुत्व ६६; इस विषयमें भिन्न-भिन्न २९,-वादी ८४; मध्यमपरिदशनोंकी समान कल्पना, ___माणवादी ८४;-विभुत्ववादी तुलना ८३, ८४ अविरति ११० आत्मतत्त्व ६, ८, ९, १३ (पा.टि.) १४, १८, १६, २७, ६८; के भव्यक्त १६, २२, २३, २८ पर्याय प्राण, भूत, जीवादि१४, अन्याकृत ८२,८७,-निर्वाण ५८; -के स्वरूपके बारेमें भिन्न-वाद ७८ भिन्न दर्शनोंमें समानता ४८; अष्टाध्यायी, पाणिनि १० (पा. टि.) -का पर्याय 'नाम' ४२-४, असत् -का स्वरूप, बौद्ध दर्शनमें असम्प्रज्ञात योग ११०-योगी ३६;- उसके पुग्गल, पुरिस, सत्त, जीव, चित्त, मन, विज्ञान, भसंस्कृत-श्राकाश और निर्वाण, आदि पर्याय ४० बौद्ध में अात्मद्रव्यका परिमाण-जैन, न्याय, अस्मिता १६,११०, देखो 'क्लेश' वैशेषिक, रामानुज श्रादिमें अहंकार ८०-१ अहन्त्व १२१-२;-बुद्धि १२०, प्रात्मवाद १०, १३, १४ (पा.टि.), १२३ २४,३४-महत्त्वके मुद्दे २० अहंप्रत्यय २६, १०० की सामान्य भूमिकाके निर्माणअहिंसा का क्रम १४ से;-में दो आकाश-असंस्कृत, बौद्ध में ७५ प्राचीन पक्ष : प्रकृतिजन्य और ___८१, १५ | स्वतःसिद्ध जीववादीकी मान्य १११ मागम
SR No.023488
Book TitleAdhyatma Vicharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghvi, Shantilal Manilal Shastracharya
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1958
Total Pages158
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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