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MMMMMन पत्रहारत्व MAMMAM में भी ऐसा ही है परन्तु मेरा यह भी भ्रम टूट गया जब उनके निधन के पश्चात् सेंकडो लोग से मैं मिला जो यही कह रहे थे कि वो सिर्फ उनके थे। उनके सबके जीवन में सबसे प्रिय सबसे नजदीकी व्यक्ति अगर कोई था तो वे श्री माणक सा. थे।
यद्यपि माणक सा. अज वो हमारे बीच नही है, परन्तु उनके बताए मार्ग पर हम सभी उनकी यादों के सहारे आगे बढ़ रहे हैं। ये सभी यादें चिरस्मरणीय रह कर पग-पग पर हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। उनकी धर्मपत्नी लता मेरी भुआ धर्म के मार्ग पर बहुत आगे बढ़ गई। उदारता उनके रोम-रोम में बसी हुई है। उनका पुत्र आकाश सच में यथा नाम तथा गुण आकाश की तरह पूरे परिवार को साथ लेकरआगे बढ़ रहा है। उनका सबसे छोटा भाई श्री मंगलजी भंशाली समर्पित भाव से मानव सेवा के कार्य में लगातार आगे बढ़ रहे हैं और परिवार के धार्मिक एवं मानवसेवा के कार्य में लगे हुए है। यह श्री माणक सा. द्वारा दिये गये संस्कार ही है कि हम अपने परिवारों को आज साथ लेकर चल रहे हैं। मैं हर कार्य करता हूँ और सोचता हूँ कि अगर आज माणक सा. होते तो मैं कैसे करता या उनका क्या आदेश होता उसी तरह में उस कार्य को करने की कोशिश करता हूँ। __मैं सदैव ऋणी हूँ, रहूँगा आदरणीय माणक सा. का व भंशाली परिवार का... प्रणाम।
अंत में चार पंक्तियाँ के साथ कलम को विराम । मीठी मधुर समृतियां, आपकी कभी नही मिट पाएगी। आपका व्यवहार, आपकी बात सदैव हमें याद आएगी ॥ आपका विरल व्यक्तित्व प्रेरित सदा करते रहेगा। आपका आत्मविश्वास, हम में हौंसला भरता रहेगा। मेरी अनुभूति के साथ विनम्र हृदय से माणक सा. को भावांजलि। रतलाम
. - मुकेश जैन
08-01-2014