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________________ मार्केट है। लेकिन माणक सा० बडे उदार मन से लोगों को अपनी राय देते थे, अपना नुकसान कर के भी लोगों को बचाते थे। या नफा कराकर प्रसन्न होते थे। यद्यपि, वे तक्नीकी रूप से (जैसे C. A. इत्यादि) शिक्षित नहीं थे, फिर भी अपनी सूझ-बूझ के कारण मार्केट में बडे-से-बडे व्यापारियों का भी भरपूर सम्मान पाते थे । शेयर मार्केट की Arbitration कमिटी में उन्होने महत्त्वपूर्ण काम किया और कई पेचीदा विवाद सुलझाए । साधारणतया, Arbitrator का पद धन्वाद हीन होता है, परन्तु उन्होने चौतरफ का यश पाया। यह उनकी लोकप्रियता ही थी, जिस कारण एक उम्मीदवार को उन्होने, अनपेक्षित रुप से मार्केट का प्रेसिडेन्ट बनवा दिया था । श्री माणक सा० व्यक्तिगत जीवन में बहुत धार्मिक स्वभाव के थे। रोज ध्यान, नव स्मरण माला, पाठ इत्यादि करना, अष्ठमी, चतुर्दशी का उपवास करना कभी भी नहीं छोडते थे। अपने सिद्धांतों से वे कभी भी समझौता नहीं करते थ। वे हालाँकि शेयर बजार में व्यापार करते थे । जो शुरु होता था उस पर समय पर १० बजे और वे ऑफिस जाते थे । १२.३० बजे तब तक कभी भी ऑफिस फोन नहीं करते थे न ही उतार-चढाव के भाव लेते थे । वे सदा कहते थे कि सेठ वो ही होता है जो अपनी मर्जी से कार्य करे । समय उसी के हसाब से चलेगा, वह समय के हिसाब से नहीं । माणक सा हमेशां सम्बन्धों में प्रेम का निर्माण करते थे । वे परिवार, व्यापार, रिश्तेदार, बिल्डिंग, सोसयटी के हर व्यक्ति से प्रेम करते थे । हर व्यक्ति उनको अपने दिल की बात कहता था ये उनका प्रेम ही था कि सामने वाला सहज होकर अपने दिल की बात उनसे करता था । इतने बड़े आदमी होकर भी सहज व्यवहार करना व हर ऐक के साथ प्रेम से रहना, स्नेह देना उनके स्वभाव का अंतरंगहिस्सा था जो मैने देखा है। वे परिवार में संस्कार के पोषक थे। सबके साथ कैसे रहना, कैसे बड़ों के आदर देना, नित्य प्रणाम करना, इत्यादि उन्ही ने सभी को सिखाया। बड़ों का आदर, छोटों को अपार स्नेह यह उनके इस विशिष्ठ स्वभाव के कारण, ૨૩
SR No.023469
Book TitleJain Patrakaratva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvant Barvalia
PublisherVeer Tattva Prakashak Mandal
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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