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________________ अलङ्कारों का पारस्परिक भेद [ ७४३ तद्गुण और विशेषोक्ति अतद्गुण में गुण ग्रहण का हेतु रहने पर भी वस्तु के अन्य का गुण ग्रहण न करना विवक्षित रहता है । प्रश्न किया जा सकता है कि हेतु के रहने पर भी फलाभाव - वर्णन रूप विशेषोक्ति से अतद्गुण का क्या भेद है ? उत्तर स्पष्ट है— अतद्गुण का चमत्कार गुण के अग्रहण के वर्णन में है । विशेषोक्ति में कारण के रहते कार्याभाव-वर्णन का चमत्कार प्रधान रहता है । अतः, दोनों का अपना-अपना विशिष्ट सौन्दर्य है । यमक और अनुप्रास । यमक और अनुप्रास को कई आचार्यों ने एक ही अलङ्कार के अलग-अलग रूप स्वीकार कर दोनों का एक साथ निरूपण किया है । फलतः, किसी आचार्य ने केवल यमक की सत्ता स्वीकार की तो दूसरे ने केवल अनुप्रास की । इस प्रकार एक अलङ्कार के भेद-निरूपण के क्रम में उन्होंने वर्ण, पद आदि की आवृत्ति के स्वरूप पर विचार किया । पीछे चलकर दोनों अलङ्कारों की स्वतन्त्र सत्ता स्वीकार कर ली गयी भामह ने यमक और अनुप्रास; दोनों को पृथक्-पृथक् परिभाषित किया था और दोनों की परिभाषाओं में दोनों के भेदक तत्त्व का भी निर्देश किया था । उनके अनुसार अर्थ-भेद से श्रुति-सम वर्ण- सङ्घ की आवृत्ति यमक है और समान रूप वाले वर्णों का विन्यास अनुप्रास । इस प्रकार यमक के रूप-विधान के लिए दो बातें अपेक्षित मानी गयीं - ( क ) समान श्रुति वाले स्वर- व्यञ्जन समुदाय की आवृत्ति तथा (ख) आवृत्ति होने पर दोनों के वाच्यार्थ का अलग-अलग होना । अनुप्रास में समान रूप वाले वर्णों का विन्यास - मात्र अपेक्षित माना गया है । इस प्रकार र, ल, ड आदि वर्णों के विन्यास में भी अनुप्रास का सद्भाव माना जा सकता है । १. अतद्गुण इति । तस्याधिकगुणस्यास्मिन् गुणा न सन्तीत्यद्गुण इत्यर्थः । नन्वस्य विशेषोक्तावन्तर्भावः योग्यतारूपकारणसत्त्वेऽपि गुणग्रहणरूपकार्याभावादिति चेन्न । गुणाग्रहणरूप विच्छित्तिविशेषाश्रयणादिति बोध्यम् । - काव्यप्रकाश, झलकीकरकृत टीका, पृ० ७४७ - २. सरूपवर्णविन्यासमनुप्रासं प्रचक्षते । तुलनीय - तुल्यश्र ुतीनां भिन्नानामभिधेयैः परस्परम् । वर्णानां यः पुनर्वादो यमकं तन्निगद्यते । - भामह, काव्यालं ०, २,५, १७
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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