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________________ अलङ्कारों का स्वरूप-विकास [ ५६६ सूक्ष्म का प्राचीन रूप ही 'कुवलयानन्द' में परिभाषित हुआ है।' हेतु के सम्बन्ध में प्राचीन आचार्यों की यह धारणा अप्पय्य को मान्य है कि 'कार्य के ‘साथ कारण का कथन हेतु है।' उन्होंने रुद्रट के मत का उल्लेख करते हुए कहा है कि 'कुछ लोग कार्य-कारण के ऐक्य में हेतु मानते हैं।'२ पण्डितराज ने रुद्रट के लेश को स्वीकार कर गुण के अनिष्ट-साधन होने तथा दोष के इष्ट-साधन होने के वर्णन में लेश अलङ्कार माना है।3 परवर्ती आचार्यों ने उक्त आचार्यों के मतों का ही किसी-न-किसी रूप में अनुमोदन किया है। निष्कर्षतः, हेतु के दो रूप कल्पित हुए हैं—हेतुमान के साथ हेतु का "कथन तथा हेतुमान और हेतु का अभेदेन कथन । सूक्ष्म के स्वरूप के सम्बन्ध में प्रायः आचार्य एकमत रहे हैं। सूक्ष्म का यह लक्षण बहुमान्य रहा है-आकृति या इङ्गित से अर्थ के अनुमेय होने का वर्णन सूक्ष्म है। रुद्रट ने कुछ नवीन रूप से उसे परिभाषित किया; पर उनकी • यह मान्यता कि 'प्रतिपाद्य अर्थ में युक्तिविहीन शब्द जहां अपने अर्थ से सम्बद्ध युक्तियुक्त अन्य अर्थ का बोध कराता हो, वहाँ सूक्ष्म अलङ्कार होता है', अन्य आचार्यों का समर्थन नहीं पा सकी। लेश के सम्बन्ध में तीन धारणाएँ प्रकट की गयीं (१) प्रकट हो गई वस्तु को व्याज से छिपाना, (२) व्याज से स्तुति या निन्दा किया जाना तथा (३) गुण में दोषत्व या अनिष्ट-साधकत्व तथा दोष में गुणत्व या इष्ट-साधकत्व की कल्पना। इन तीन रूपों में से प्रथम व्याजोक्ति अलङ्कार तथा द्वितीय व्याजस्तुति अलङ्कार के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। अतः, तीसरा रूप ही लेश का रूप माना जाना चाहिए। परिकर ____ रुद्रट ने परिकर को स्वतन्त्र अलङ्कार मान कर उसके स्वरूप का सर्वप्रथम 'निरूपण किया। उनके परवर्ती प्रायः सभी मान्य आचार्यों ने परिकर का १. सूक्ष्म पराशयाभिशेतरसाकृतचेष्टितम् ।-अप्पय्य, कुवलया० १५१ २. हेतोह तुमता साधं वर्णनं हेतुरुच्यते। वही, १६७ तथा हेतुहेतुमतोरक्यं हेतु केचित्प्रचक्षते ।-वही, १६८ । ३. गुणस्यानिष्टसाधनतया दोषत्वेन दोषस्येष्टसाधनतया गुणत्वेन च वर्णनं लेशः।-जगन्नाथ, रसगङ्गाधर, पृ० ८१०।
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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