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________________ ५६० ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण मम्मट आदि की तरह सम तथा असम के विनिमय में परिवृत्ति मानी है । मतिराम, कुमारमणि, आदि ने अप्पय्य दीक्षित की तरह न्यून और अधिक के विनिमय में ही परिवृत्ति का सद्भाव माना है । न्यून तथा अधिक के विनिमय का अर्थ कुछ आचार्य केवल न्यून देकर अधिक का आदान मानते हैं और कुछ लोग न्यून से अधिक का तथा अधिक से न्यून का परिवर्तन | परिवृत्ति-भेद तथा दोनों असुन्दर का विनिमय । भेद असम विनिमय के स्वीकृत हैं । पर प्रत्येक के दो-दो भेद सम्भव हैं । जगन्नाथ ने सम से सम के विनिमय के दो भेद माने हैं—दोनों सुन्दर न्यून से अधिक तथा अधिक से न्यून; ये दो मुख्य या उपचार से विनिमय के आधार परिसंख्या १ अलङ्कार के रूप में परिसंख्या का निरूपण सर्वप्रथम रुद्रट ने किया है । वैशेषिक दर्शन में परिसंख्या के स्वरूप का विस्तृत विवेचन हो चुका था । गुण, क्रिया तथा जाति-रूप वस्तु की एकत्र स्थापना तथा अपर मुख्य या वृत्ति से उसका निषेध परिसंख्या का स्वरूप है । वैयाकरण परिसंख्या का अर्थ नियम मानते हैं । ध्यातव्य है कि निषेध प्राप्त का ही होता है । अतः, जिस गुण, जाति, क्रिया आदि की अनेकत्र प्राप्ति हो, उसे किसी एक नियत आधार में ही विद्यमान कहा जाय, जिससे अपरत्र उसका अभाव प्रतीत हो तो यह परिसंख्या का स्वरूप होगा । वस्तु की एकत्र स्थापना कर अपरत्र उसका अभाव, वाच्य या प्रतीयमान किसी भी रूप में बताया जा सकता है । वस्तु की एकत्र स्थापना तथा अपरत्र उसका निषेध, प्रश्न किये जाने पर भी किया जा सकता है और प्रश्ननिरपेक्ष रूप में भी । रुद्रट ने विधि-निषेध की इस उक्तिभङ्गी को किञ्चित् परिष्कार के साथ अलङ्कार के रूप में स्वीकर किया है । जहाँ अनेकत्र प्राप्त किसी वस्तु की एकत्र स्थापना की जाय और अपरत्र उसका अभाव प्रतीत हो, वहाँ रुद्रट परिसंख्या अलङ्कार मानेंगे । अभाव का वाच्य होना इसमें उन्हें अभीष्ट नहीं । परिसंख्या को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि जहाँ प्रश्नपूर्वक अथवा बिना प्रश्न के अनेकत्र समान रूप से रहने वाली १. 'ऋग्वेद भाष्य' की भूमिका में सायण ने उसके स्वरूप का विस्तृत: विवेचन किया है ।
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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