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________________ ५२२ ] अलङ्कार- धारणा : विकास और विश्लेषण कुन्तक ने दण्डी आदि की तरह वर्ण्य वस्तु के सहृदयाह्लादकारी धर्मं का चमत्कार के साथ अपूर्व अतिशय वर्णन अतिशयोक्ति का लक्षण माना । अग्निपुराणकार ने भी लोक-सीमा का अतिक्रमण करने वाले वस्तु-धर्म का वर्णन अतिशय का मुख्य लक्षण माना । सातिशय या अलौकिक वर्णन के भेदों का निर्देश करते हुए उन्होंने गुण, जाति, क्रिया आदि का वैकल्य( लोकप्रसिद्ध गुण, जाति, क्रिया आदि का विपर्यय) अतिशयोक्ति में अपेक्षित माना है और इसे विशेषोक्ति कहा है । यह विशेषोक्ति-लक्षण दण्डी के विशे-षोक्ति-लक्षण से अभिन्न है । २ भोज केवल गुण तथा क्रिया का ही अतिशय-पूर्ण वर्णन अतिशयोक्ति में अपेक्षित मानते हैं । उनकी मान्यता है कि जाति: और द्रव्य में अतिशय की कल्पना सम्भव ही नहीं । अतः अतिशयोक्ति गुण और क्रियागत ही होती है। भोज ने प्रभाव, अनुभव तथा अन्योन्य की अतिशयता को भी अतिशयोक्ति का क्षेत्र स्वीकार किया है । 3 मम्मट के समय अतिशयोक्ति के स्वरूप में विकास की एक निश्चित दिशा आयी । आचार्य मम्मट ने अतिशयोक्ति को विशिष्ट रूप दिया । इस तरह अतिशयोक्ति अलङ्कार को सामान्य अतिशय - पूर्ण वर्णन से भिन्न अपना स्वतन्त्र अस्तित्व मिला । मम्मट ने उद्भट के द्वारा कल्पित अतिशयोक्ति के सम्भाव्यमान अर्थ - निबन्धन तथा कार्य-कारण- पौर्वापर्य विपर्यय भेदों को स्वीकार किया है, जो अलौकिक वर्णन के दो रूप हैं, किन्तु परिभाषा में 'प्रस्तुत और अप्रस्तुत बीच अध्यवसान' ( आहार्याभेदनिश्चय ) का उल्लेख मम्मट की विशेषता है । उनके अनुसार उपमान के द्वारा उपमेय का निगरण कर ( उपमान से पृथक् उपमेय का निर्देश न कर ) उपमेय का अध्यवसान अर्थात् आहार्य अभेद - ज्ञान कराना अतिशयोक्ति का एक रूप है, प्रस्तुत का अन्यत्व रूप से वर्णन उसका दूसरा रूप है, 'यदि' अर्थ की कल्पना से सम्भाव्य अर्थ का निबन्धन तथा १. यस्यामतिशयः कोऽपि विच्छित्त्या प्रतिपाद्यते । वर्णनीयस्य धर्माणां तद्विदाह्लाददायिनाम् । — कुन्तक, वक्रोक्तिजी० ३, २६. २. अग्निपुराण, ३४४, २५-२६, तुलनीय - दण्डी काव्यादर्श, २, ३२३ ३. द्रष्टव्य, भोज, सरस्वतीकण्ठा० ४, ८१-८४
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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