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________________ ३२८ ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण ___'भावविलास' के उक्त उनचालीस अलङ्कारों को ही आचार्य देव ने मुख्य अलङ्कार कहा है और समग्र अलङ्कार-प्रपञ्च को उन्हीं के भेद स्वीकार किया है।' 'भावविलास' के अलङ्कार-विवेचन में आचार्य दण्डी के 'काव्यादर्श' को आदर्श माना गया है। संशय को देव ने यद्यपि स्वतन्त्र अलङ्कार स्वीकार किया; पर इसकी परिभाषा में उपमान और उपमेय के बीच सन्देह पर बल देकर इसे दण्डी के संशयोपमा से अभिन्न बना दिया है। भारतीय अलङ्कारशास्त्र में इस अलङ्कार ने सन्देह, ससन्देह, संशयोपमा, संशय आदि अभिधान ग्रहण किये हैं। 'शब्दरसायन' में विवेचित अलङ्कार निम्नलिखित हैं : शब्दालङ्कार-अनुप्रास और यमक ( चित्र अन्तर्जापिका, प्रहेलिका आदि इसी में)। [मुख्य] अर्थालङ्कार-स्वभावोक्ति, उपमा, रूपक, दीपक, आवृत्ति, परिवृत्ति, आक्षेप, अर्थान्तरन्यास, व्यतिरेक, विशेषोक्ति, समासोक्ति, विभावना, पर्यायोक्ति, वक्रोक्ति, अतिशयोक्ति, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, हेतु, सहोक्ति, सहोक्तिमाला, सूक्ष्म, लेश, क्रम, प्रेय, रसवत्, उदात्त, ऊर्जस्वी, अपह्न ति, समाधि, निदर्शना, दृष्टान्त, निन्दास्तुति, स्तुतिनिन्दा, संशय, विरोध, विरोधाभास, तुल्ययोगिता, अप्रस्तुतस्तुति, असम्भव, असङ्गति, परिकर तथा तद्गुण । [गौण] अर्थालङ्कार-अतद्गुण, अनुगुण, अनुज्ञा, अवज्ञा, गुणवत, प्रत्यनीक, लेख, सार, मिलित, कारणमाला, एकावली, मुद्रा, मालादीपक, समुच्चय, सम्भावना, प्रहर्षण, गूढोक्ति, व्याजोक्ति, विवृतोक्ति, युक्ति, स्वभावोक्ति, विकल्प, सङ्कीर्ण, भाविक, आशिष, स्मृति, भ्रान्ति, सन्देह, निश्चय, सम, विषम, अल्प, अधिक, अन्योन्य, सामान्य, विशेष, उन्मीलित, पिहित, अर्थापत्ति, विधि, निषेध, अन्योक्ति, अत्युक्ति एवं प्रत्युक्ति। उपरिलिखित अर्थालवारों से गौण अर्थालङ्कारों की संख्या के विषय में देव के कथन की सङ्गति नहीं बैठती। इस अव्यवस्था को देखते हुए कुछ विद्वानों ने देव के दोहे में पाठ-दोष मान कर उसके संशोधन का सुझाव दिया १. अलङ्कार मुख्य उनतालीस हैं देव कहें ये ही पुराननि मुनि मतनि में पाइये। आधुनिक कवित के संगत अनेक और इनहीं के भेद और विविध बताइये । -देव, भावविलास, ५, १
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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