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________________ ३२६ ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण समीचीन नहीं जान पड़ती। दोनों में किसी वस्तु के रूप में किसी कारण से विकार होने पर पुनः पूर्वरूप की प्राप्ति का वर्णन रहता है। सामान्यविशेष भूषण का नाम्ना नवीन अलङ्कार है। इसकी परिभाषा में कहा गया है कि जहां सामान्य का कथन अभीष्ट हो वहां यदि विशेष का कथन हो तो सामान्यविशेष अलङ्कार होता है।' स्पष्टतः, यह अप्रस्तुतप्रशंसा का एक भेद है। सामान्य की विवक्षा में विशेष का, विशेष की विवक्षा में सामान्य का तथा ऐसे अन्य का कथन होने में अप्रस्तुतप्रशंसा का सद्भाक प्राचीन आलङ्कारिकों ने माना था।२ भाविकछवि को आचार्य पण्डित रामचन्द्र शुक्ल ने भूषण की उद्भावना माना था। डॉ. भगीरथ मिश्र ने भी शुक्ल जी की मान्यता का ही अनुसरण किया है। हम देख चुके हैं कि भाविकच्छवि अलङ्कार का विवेचन जयदेव ने 'चन्द्रालोक' में किया था ।५ भूषण की भाविकछवि उससे अभिन्न है। 'चन्द्रालोक' के सभी संस्करणों में भाविकच्छवि का उल्लेख नहीं पाया जाता। सम्भव है कि शुक्ल जी के सामने 'चन्द्रालोक' की जो प्रति थी, उसमें भाविकच्छवि की परिभाषा नहीं रही हो। गुजराती प्रिंटिंग प्रेस से प्रकाशित 'चन्द्रालोक' में भाविकच्छवि का उल्लेख इतना तो अवश्य प्रमाणित करता है कि संस्कृत-अलङ्कार-शास्त्र में भी भाविकच्छवि का स्वरूप-निरूपण हो चुका था और भूषण ने वहीं से यह धारणा ली है। भाविकच्छवि की उद्भावना सर्वप्रथम या तो जयदेव ने की होगी या उनके समकालीन किसी अज्ञात आचार्य ने । भूषण को भाविकछवि की प्रथम कल्पना का श्रेय नहीं दिया जा सकता। १. कहिबे जहिं सामान्य है कहै तहाँ जु बिसेष । .. सो सामान्य-बिसेष है.........॥-भूषण, शिवराजभूषण, १०६ २. तत्र सामान्यविशेषभावे सामान्याद् विशेषस्य विशेषाद्वा सामान्यस्या वगतौ द्वविध्यम् ।-अप्पय्य, कुवलयानन्द, वृत्ति, पृ० ८२ ३. रामचन्द्र शुक्ल, हिन्दी साहित्य का इतिहास, पृ० २३५ ४. भगीरथ मिश्र, हिन्दी काव्यशास्त्र का इतिहास, पृ० ८६ ५. देशात्मविप्रकृष्टस्य दर्शनं भाविकच्छविः।-जयदेव चन्द्रालोक, ५,११४ ६. जहँ दूरस्थित बस्तु को देखत वरनत कोइ। भूषन भूषनराज यो भाविकछवि है सोइ ॥ -भूषण, शिवराजभूषण, ३११
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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