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________________ हिन्दी रीति- साहित्य में अलङ्कार विषयक उद्भावनाएँ [ ३१७ - अर्थान्तरन्यास-विषयक प्राचीन मान्यता को अंशतः ही प्रस्तुत करती है । उक्त परिभाषा के एक पाठ भेद का भी निर्देश किया गया है । उस पाठान्तर के अनुसार सामान्य से विशेष के समर्थन में अर्थान्तरन्यास माना गया है । " यह पाठान्तर अर्थान्तरन्यास के दूसरे रूप को प्रकाशित करता है । दो में से किसी भी पाठ को शुद्ध मानने से कुवलयानन्दकार की अर्थान्तरन्यास-धारणा पूर्णतः परिभाषित नहीं हो पाती । स्पष्ट है कि 'भाषाभूषण' का अर्थान्तरन्यासलक्षण अपूर्ण है । अप्पय्य दीक्षित ने उत्तर अलङ्कार के दो भेद स्वीकार किये थे । उत्तर के एक लक्षण में उन्होंने गूढोत्तर शब्द का प्रयोग किया था । उसी परिभाषा से गूढोत्तर शब्द लेकर भाषाभूषणकार ने उत्तर का अभिधान गूढोत्तर दिया है । अप्पय्य ने उत्तर का दूसरा प्रकार चित्रोत्तर माना था, जिसमें प्रश्न और उत्तर साथ मिले रहते हैं । महाराज जसवन्त सिंह ने चित्रोत्तर की चित्र नाम स्वतन्त्र सत्ता मान ली है । इस तरह 'कुवलयानन्द' के एक अलङ्कार उत्तर से भाषाभूषण के गूढोत्तर तथा चित्र अभिन्न हैं । कुछ अर्थालङ्कारों के स्वरूप के सम्बन्ध में अप्पय्य दीक्षित से सहमत होने पर भी जसवन्त सिंह उनके लक्षण स्पष्ट रूप से प्रस्तुत नहीं कर पाये हैं । उनके लक्षण इसीलिए आपाततः अप्पय्य के अलङ्कार - लक्षण से किञ्चित् भिन्न लगते हैं; पर उन लक्षणों एवं उनके उदाहरणों के परीक्षण से स्पष्ट हो जाता है कि उन अलङ्कारों के सम्बन्ध में जसवन्त सिंह की धारणा अप्पय्य दीक्षित की धारणा से तत्त्वतः अभिन्न है । इस दृष्टि से निम्नलिखित अलङ्कारों के लक्षण विचारणीय हैं: 'कुवलयानन्द' में निरूपित तुल्ययोगिता के तीनों भेद 'भाषाभूषण' में परिभाषित हैं । 'हित और अहित में वृत्ति की तुल्यता' की जगह 'भाषाभूषण' १. तुलनीय - उक्तिरर्थान्तरन्यासः स्यात्सामान्यविशेषयोः । तथा विशेष तें सामान्य दृढ, तब अर्थान्तरन्यास । पाठान्तर - सामान्य ते विशेष दृढ, २. तुलनीय - अप्पय्य, कुवलयानन्द, अलङ्कार प्रकरण, १८० " - कुवलयान्द, १२२ ,,। "" - भाषाभूषण, अलङ्कार-प्रकरण १५४ १५० तथा जसवन्त, भाषाभूषण, -
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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