SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अलङ्कार-धारणा का विकास [ २७७ आचरण को अनुकूल करने का वर्णन होता है ।' स्पष्टतः विश्वनाथ ने अनुकूल को छोड़ किसी नवीन अलङ्कार की उद्भावना नहीं की है । O विद्यानाथ विद्यानाथ-रचित 'प्रतापरुद्रयशोभूषण' – जो प्रतापरुद्रीय नाम से भी पुकारा जाता है— उस काल की रचना है, जब काव्य-तत्त्व की मौलिक उद्भावना के स्थान पर पूर्व प्रतिष्ठापित काव्य - सिद्धान्त का विवेचन - विश्लेषणमात्र आचार्यों का उद्देश्य बच गया था । विद्यानाथ के पूर्व आचार्य मम्मट के 'काव्यप्रकाश' में काव्य-तत्त्व - विश्लेषण को चरम प्रौढ़ि प्राप्त हो गयी । फलतः परवर्ती आचार्यों का लक्ष्य सरल शैली में पूर्ववर्ती आचार्यों की काव्यतत्त्वविषयक मान्यताओं का उपस्थापन मात्र रह गया । विद्याधर, विद्यानाथ आदि की रचनाओं में इसी उद्देश्य की प्राप्ति का आयास है । अलङ्कार - विवेचन के क्षेत्र में ध्वनिवादी मम्मट की अपेक्षा अलङ्कार प्रस्थान के प्रबल पोषक आचार्य रुय्यक की धारणा परवर्ती आचार्यों के लिए अधिक अनुकरणीय सिद्ध हुई है । कुछ आचार्यों ने रुद्रट, मम्मट तथा कुछ अन्य प्राचीन आचार्यों की अलङ्कार - परिभाषाओं का भी इतस्ततः उपयोग किया है । प्रस्तुत सन्दर्भ में हम विद्यानाथ की अलङ्कार - परिभाषाओं का पूर्ववर्ती आचार्यों के अलङ्कारलक्षण से तुलनात्मक अध्ययन कर उन परिभाषाओं के स्रोत का निर्धारण करेंगे | विद्यानाथ ने निम्नलिखित अलङ्कारों का विवेचन किया है : शब्दालङ्कार :—छेकानुप्रास, वृत्त्यनुप्रास, यमक, पुनरुक्तवदाभास, लाटानुप्रास तथा चित्र । अर्थालङ्कार : - ( १ ) उपमा, (२) अनन्वय, (३) उपमेयोपमा, (४) स्मरण, (५) रूपक, (६) परिणाम, (७) सन्देह, (८) भ्रान्तिमान् ( ६ ) अपह्न ुति, (१०) उल्लेख, (११) उत्प्रेक्षा, (१२) अतिशयोक्ति, (१३) सहोक्ति, (१४) विनोक्ति, (१५) समासोक्ति, (१६) वक्रोक्ति, (१७) स्वभावोक्ति, (१८) १. अनुकूलो प्रातिकूल्यमनुकूलानुबन्धि चेत् । - विश्वनाथ, साहित्यदर्पण, १०, ८४
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy