SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बलकार-धारणा का विकास [ २४१ अभेद १ शोभाकर का अभेद पूर्ववर्ती आचार्यों के रूपक का ही एक भेद है । रूपक से पृथक् इसकी कल्पना अनावश्यक है । रूपक से एक सूक्ष्म भेद की कल्पना की गयी है कि रूपक में अभेद - मात्र की प्रतीति होती है, पर इसमें नियत धर्म के विनाश से सर्वतः अभेद प्रतीत होता है । २ अभेदप्रतीति रूपक काही विषय है । यह वामन की विशेषोक्ति से अभिन्न है । प्रतिभा प्रतिभा नामक अलङ्कार की कल्पना कर शोभाकर ने उसकी परिभाषा में कहा है कि इसमें कवि प्रतिभा से सम्भाव्य वस्तु की कल्पना की जाती है । 3 स्वभावोक्ति से इसका भेद बताते हुए कहा गया है कि जब सम्भावना से वस्तु-स्वभाव का वर्णन होता है तब वह प्रतिभा का अङ्ग होता है । वस्तुस्वरूप का कवि - प्रतिभा से सम्भावना के रूप में वर्णन में प्रतिभा की सत्ता स्वीकृत है । अतः इसका सम्भावना पर आधृत वस्तुत्प्रेक्षा में समावेश सम्भव है । प्रतिभा को स्वतन्त्र अलङ्कार नहीं माना जा सकता । उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति आदि के अतिरिक्त भी जो किसी वस्तु के स्वरूप पर कवि की अनेक प्रकार की कल्पनाएं हो सकती हैं, उन सब को अलङ्कारविशेष मान लेना उचित नहीं । क्रियातिपत्ति क्रियातिपत्ति नाम्ना नवीन किन्तु स्वरूपतया प्राचीन अलङ्कार है । इस अलङ्कार ने अनेक अभिधान धारण किये हैं । यद्यर्थ की उक्ति को शोभाकर ने क्रियातिपत्ति कहा है । मम्मट, रुय्यक आदि आचार्यों ने इसे सम्बन्धातिशयोक्ति कहा है। स्पष्ट है कि प्राचीन अलङ्कार को ही शोभाकर ने नवीन नाम से प्रस्तुत किया है, पर यह नाम अन्य आचार्यों को मान्य नहीं हुआ । १. तुलनीय - अलं ० रत्ना० २७ तथा रुय्यक, अलं० सू० १५ २. अभेदमात्रप्रतीतौ रूपकं, नियतधर्महानावन्यतः सर्वतोऽभेदप्रतीतौ अभेद इति प्रतीतिभेदात् । - अलं० रत्ना० पृ० ३८ ३. 'सम्भाव्यमानस्य प्रतिभा । सम्भाव्यमानस्यार्थस्य कविना प्रतिभाख्येन चक्षुषा परिकल्पनमुल्ले खरूपं प्रतिभा । वही, ३५ तथा उसकी वृत्ति, पृ० ५५ ४. यद्यर्थोक्तावसम्भाव्यमानस्य क्रियातिपत्तिः । - वही, ३६ १६
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy