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________________ १२० ] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण उत्तम अलङ्करण कहा था । उद्भट ने उन्हें अलङ्कार स्वीकार नहीं किया । उन विवादग्रस्त अलङ्कारों का उल्लेख वामन ने भी नहीं किया है । अन्य अलङ्कारों की अस्वीकृति का कारण उनमें उपमामूलकता का अभाव जान पड़ता है। सेठ कन्हैया लाल पोहार की यह मान्यता उचित नहीं है कि वामन ने 'काव्यालङ्कार सूत्र' में केवल तैंतीस अलङ्कार निरूपण किये हैं । १ पोद्दारजी ने सम्भवतः उत्प्रेक्षावयव और उपमारूपक को वामन के स्वतन्त्र अलङ्कार के रूप में परिगणित कर लिया है, जो वस्तुतः संसृष्टि के भेद - मात्र हैं । काव्यालङ्कार-सूत्र के व्याख्याता आचार्य विश्वेश्वर की यह मान्यता भी निर्भ्रान्त नहीं कि 'वामन ने तीस अर्थालङ्कार और दो शब्दालङ्कार मिलाकर कुल बत्तीस अलङ्कारों का निरूपण किया है । २ विश्वेश्वर ने वामन के समाहित की गणना नहीं की और संसृष्टि के दो भेदों को स्वतन्त्र अलङ्कार मान लिया । वामन ने इकत्तीस अलङ्कारों का निरूपण किया है । नीचे हम वामन के अलङ्कारों के स्वरूप का पूर्ववर्ती आचार्यों के अलङ्कारों से सम्बन्ध की दृष्टि से विवेचन करेंगे तथा उनके नवीन अलङ्कारों के उद्गम स्रोत का अन्वेषण करेंगे । वक्रोक्ति वामन ने सर्वप्रथम वक्रोक्ति नामक अलङ्कार का उल्लेख किया है । यों, वक्रोक्ति शब्द नवीन नहीं है । भामह ने वक्रोक्ति को अलङ्कारों का प्राण कहा था । उनकी वक्रोक्ति का अर्थ अतिशयोक्ति से मिलता-जुलता था । वामन ने वक्रोक्ति को अलङ्कार - विशेष के रूप में स्वीकार किया और उसके सम्बन्ध में विलक्षण धारणा प्रकट की । उन्होंने सादृश्यमूला लक्षणा को वक्रोक्ति अलङ्कार कहा है । लक्षणा के पाँच भेदों ( अभिधेय सम्बन्धमूला, सादृश्यमूला, समवाय, वैपरीत्य तथा क्रियायोगा लक्षणा ) में, 'सादृश्य लक्षणा' एक भेद १. द्र० कन्हैयालाल पोद्दार, काव्यकल्पद्र ुम, भाग २, प्राक्कथन, पृ० १८ । २. द्र० - हिन्दी काव्यालं० सू० पृ० २३१ । ३. सैषा सर्वैव वक्रोक्तिरनयार्थी विभाव्यते । नोऽस्यां कविना कार्यः कोऽलङ्कारोऽनया विना ॥ . — भामह, काव्यालं० २, ८५ ४. सादृश्याल्लक्षणा वक्रोक्तिः । वामन, काव्यालं० सू० ४, ३, ८
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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