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________________ ८२] अलङ्कार-धारणा : विकास और विश्लेषण कल्पना कर ली। अप्रस्तुत अर्थ के वर्णन से प्रस्तुत अर्थ की व्यञ्जना का आधार उक्त तथा अनुक्त अर्थों के लिए समान विशेषण का प्रयोग है । विशेषणप्रयोग के वैचित्र्य की दृष्टि से दण्डी ने समासोक्ति के चार भेद स्वीकार किये हैं—( क ) कार्यलिङ्गविशेषण-घटिता समासोक्ति, ( ख ) श्लिष्ट विशेषणासमासोक्ति, (ग) श्लिष्टाश्लिष्टविशेषणा-समासोक्ति तथा (घ) अपूर्वसमासोक्ति ।' प्रथम में समान कार्य-वर्णन से प्रस्तुतार्थ की व्यञ्जना होती है। भामह की सामान्य अप्रस्तुत-प्रशंसा-परिभाषा में भी इस भेद की कल्पना के लिए अवकाश था। द्वितीय तथा तृतीय भेदों की कल्पना में भामह की श्लिष्ट-धारणा का अवलम्ब लिया गया है। अन्तिम में पूर्वधर्म का उपादान न कर विपरीत-धर्म का वर्णन किया जाता है। वैपरीत्य-धारणा के आधार पर इस भेद की कल्पना की गयी है। अतिशयोक्ति दण्डी की सामान्य अतिशयोक्ति-धारणा भामह की तद्विषयक धारणा से अभिन्न है । २ 'काव्यादर्श' में उसके निम्नलिखित भेद सोदाहरण विवेचित हैंसंशयातिशयोक्ति, निर्णयातिशयोक्ति तथा आश्रयाधिक्यातिशयोक्ति । प्रथम दो भेदों में संशय एवं निर्णय मूलाधार हैं। संशयोपमा तथा निर्णयोपमा के स्रोत के विवेचन-क्रम में हम संशय एवं निर्णय की धारणा के उद्भव पर विचार कर चुके हैं। आश्रयाधिक्य-वर्णन दण्डी की अपनी कल्पना है। वस्तुतः इस भेद की पृथक् कल्पना आवश्यक नहीं। आश्रय की विशालता के वर्णन से आश्रित के आधिक्य की व्यञ्जना इसमें होती है। अतिशयोक्ति के सामान्य लक्षण में ही वस्तु के लोकसीमातिवर्ती आधिक्य-वर्णन पर बल दिया गया है। अतः इस नवीन भेद की कल्पना का आधार भेदीकरण का आग्रह-मात्र है । उत्प्रेक्षा भामह की उत्प्रेक्षा-धारणा को ही दण्डी ने अधिक स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया है। उपमा और उत्प्रेक्षा के भेद-निरूपण तथा उत्प्रेक्षा-व्यञ्जक शब्दों के परिगणन के लिए दण्डी श्रेय के भागी हैं। १. द्रष्टव्य-दण्डी, काव्याद० २,२०८-१३ २. तुलनीय–दण्डी, काव्याद० २,२१४ तथा भामह, काव्यालं० २,८१ ३. द्रष्टव्य-दण्डी, काव्याद०, २,२१७-१६ ४. तुलनीय-दण्डी, काव्याद० २,२२१ तथा भामह, काव्यालं० २,६१
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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