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________________ अलङ्कार-धारणा का विकास [८१ सादृश्यसदृशव्यतिरेक भेदों का मूल अर्थ का वाच्य तथा प्रतीयमान वर्गों में विभाजन है। प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत के धर्मों की सजातीयता के आधार पर सजातिव्यतिरेक भेद की कल्पना की गई है। स्पष्ट है कि 'काव्यादर्श' के व्यतिरेक-भेदों के नवीन होने पर भी भेदीकरण के आधार सर्वथा नवीन नहीं हैं। विभावना दण्डी ने 'काव्यादर्श' में विभावना अलङ्कार के सम्बन्ध में प्रकारान्तर से भामह से मिलती-जुलती धारणा ही व्यक्त की है। दण्डी के अनुसार किसी कार्य के लोक-प्रसिद्ध कारण को छोड़ अन्य कारण का उल्लेख किया जाना अथवा उसका किसी कारण के बिना स्वाभाविक रूप में होने का वर्णन किया जाना विभावना है।' यह धारणा भामह की क्रिया के प्रतिषेध में भी फल के सद्भावविषयक धारणा से किञ्चिन्मात्र ही भिन्न है। समासोक्ति दण्डी ने समासोक्ति-लक्षण में शब्द-भेद से भामह की अप्रस्तुत-प्रशंसासम्बन्धी मान्यता को ही प्रस्तुत किया है। दण्डी के अनुसार इसमें अप्रस्तुत के कथन से प्रस्तुत अर्थ की व्यञ्जना होती है।२ टीकाकार नृसिंहदेव के अनुसार जहाँ प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत में से अप्रस्तुत के वर्णन से प्रस्तुत का व्यञ्जना से बोध हो जाता है वहाँ दण्डो के मतानुसार समासोक्ति अलङ्कार होता है।३ परवर्ती आचार्य मम्मट आदि ने अप्रस्तुत वर्णन से प्रस्तुतार्थ की व्यञ्जना में अप्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कार माना है। भामह ने भी अप्रस्तुतप्रशंसा अलङ्कार की परिभाषा में ऐसी ही धारणा व्यक्त की है। इस प्रकार भामह के अप्रस्तुत-प्रशंसा अलङ्कार का स्वरूप लेकर दण्डी ने उसे समासोक्ति नाम से अभिहित किया और अप्रस्तुतप्रशंसा के स्वतन्त्र लक्षण की १. प्रसिद्धहेतुव्यावृत्या यत् किञ्चित् कारणान्तरम् । यत्र स्वाभाविकत्वं वा विभाव्यं सा विभावना ॥ -दण्डी, काव्यादर्श २,१६६ २. वस्तु किञ्चिदभिप्रेत्य तत्तुल्यस्यान्यवस्तुनः ।। ___उक्तिः संक्षेपरूपत्वात् सा समासोक्तिरिष्यते ॥-वही० २,२०५ ३. यत्र प्रस्तुताप्रस्तुतयोयोर्मध्ये एकस्य अप्रस्तुतस्य प्रयोगेण अपरस्य प्रस्तुतस्य व्यञ्जनया बोधः तत् समासोक्तिरिति दण्डिलक्षणसरलसारः । --काव्याद०, कुसुम प्र० टीका, पृ० १६९ ६ .
SR No.023467
Book TitleAlankar Dharna Vikas aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhakant Mishra
PublisherBihar Hindi Granth Academy
Publication Year1972
Total Pages856
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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