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________________ ३८ ] वृत्तमौक्तिक A कृतफणिपतिहारं त्रिभुवनसारं दक्षमखक्षयसंक्षुब्धं रमणीलुब्ध । गलराजितगरलं गङ्गाविमलं कैलाशाचलधामकगं प्रणमामि हरम् ।। यह पूर्ण स्तोत्र अद्यावधि अप्राप्त है । ७. नन्दनन्दनाष्टक-यह स्तोत्र भी अद्यावधि अप्राप्त है । इसका केवल एक पद्य चर्चरी छन्द के प्रत्युदाहरण-रूप में प्राप्त है:"यथा वा, अस्मत्तातचरणानां श्रीनन्दनन्दनाष्टके-१ मन्दहासविराजितं मुनिवृन्दवन्द्यपदाम्बुजं, सुन्दराधरमन्दराचलधारि चारुलसद्भुजम् । गोपिकाकुचयुग्मकुंकुमपङ्करूषितवक्षसं , नन्दनन्दनमाश्रये मम किं करिष्यति भास्करिः । ८. सुन्दरीध्यानाष्टकम्-यह अष्टकस्तोत्र भी अप्राप्त है। इसका भी केवल एक पद्य चर्चरो छन्द के प्रत्युदाहरण-रूप में प्राप्त है:"यथा वा, तेषामेव श्रीसुन्दरीध्यानाष्टके'-- कल्पपादपनाटिकावृतदिव्यसौधमहार्णवे , ___ रत्नसङघकृतान्तरीपसुनीपराजिविराजिते । चिन्तितार्थविधानदक्षसुरत्नमन्दिरमध्यगां , मुक्तिपादपवल्लरीमिह सुन्दरीमहमाश्रये ।। ___६. देवीस्तुतिः-यह देवीस्तोत्र भी अद्यावधि अप्राप्त है। इसका केवल एक पद्य प्रस्तुत ग्रन्थ में 'हीरं छन्द' के प्रत्युदाहरण-रूप में प्राप्त है: पाहि. जननि ! शम्भुरमणि ! शुम्भदलनपण्डिते ! ___ तारतरलरत्नखचितहारवलयमण्डिते ! भालरुचिरचन्द्रशकलशोभि सकलनन्दिते ! देहि सततभक्तिमतुलमुक्तिमखिलवन्दिते ! १०. खड्गवर्णन-इसका एक पद्य स्रग्धराछन्द के प्रत्युदाहरण-रूप में प्रस्तुत ग्रन्थ में प्राप्त है। संभवतः कविरचित यह स्फुट पद्य हो, या हो सकता १, २. वृत्तमौक्तिक पु. १४४ ३. वृत्तमौक्तिक पृ. ४३
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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