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________________ ४६८ ] प्रस्तार संख्या छन्द-नाम १,१२,३४८. परिपोषकम् क्रीडा सुरभि: मणिमाला १,२६,३६१. श्रश्वगतिः १,४६,७६७. श्रर्थान्तरालापि १,४६,७६८. पतङ्गपादः २,२४,६६५. हीरकहारधरम् २,४९,६६१. दण्डी विस्मिता मुग्धकम् माधवीलता रतिलीला तरुणीवदनेन्दुः १,३०,३४९. किरणकीत्तिः वञ्चितम् वृत्तमौक्तिक - पञ्चम परिशिष्ट २०,४६६. झिल्लीलीला न य म म ज म ग ३१, २२५. विधुनिधुवनम् मन न त न मरा ४८, १८६. माराभिसरणम् त न म भ स य ग ७४,८६६. लोललोलम्बलीलम् र र र र र र ग य म न स र र ग य म न न र र ग मरन स स ज ग ज स ज स ज स ग्र स स स स स स ग्र त ज त भ न स ग म त न स त त ग लक्षण मकरन्दिका मणिमञ्जरी स स स स स स य म न स त स तरलम् ऊर्जितम् १,९२,१९२. निर्गलितमेखला वायुवेगा स न ज न भ स भ भ भ म भ स भ भ भ भ भ स त त त त त त ज त त त त त भ भ भ भ भ भ त न त न त न एकोनविंशाक्षर छन्द १,५५,४८१. शिलीमुखोज्जृम्भितं म स ज न ज त ग १,७४,७६३. कलापदीपकम् र ज र ज र ज ग १,७४,७८४. प्रपञ्चचामरम् पञ्चचामरः न न र ज र ज ग न न स ज र ज ग १,७८, १३६. कल्पलतापताकिनी मन न स स जग य म न स ज ज ग या न य ज ज ग न भर स ज ज ग र स स त ज ज ग न नर न भ ज ग म स ज स न ज ग सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्क ेताङ्क १७. १०; सुधा - १४; मुक्तामाला १४, १७. १०, १६. १०. १६ १६. १७; श्रद्धान्तरालापि - १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १४. १०. १०, २०. १०, १६. ६, १०. १७. १०; चन्द्रबिम्बम् - ५; बिम्ब १४; विचितम् - १४. १७. १७. १७; प्रपञ्चम्-१७. १४. १७. ५, १०, १४. १४. १०, १६. १०; शाङ्गि - १६. १७. १०, २२.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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