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________________ भूमिका [ २१ ग्रंथकार के वृद्धप्रपितामह श्रीरामचन्द्र भट्ट वस्तुतः तैलंगदेशीय वेलनाट यजुर्वेदान्तर्गत तैत्तिरीयशाखाध्यायी आपस्तम्ब त्रिप्रवरान्वित आंगिरस बार्हस्पत्य भारद्वाजगोत्रीय श्री लक्ष्मण भट्ट सोमयाजी के पुत्र हैं; जोकि वसिष्ठवंशीय ननिहाल में मातुल के यहाँ दत्तकरूप में चले गये थे। अतः भारद्वाजीय गोत्रापेक्षया वंशवृक्ष इस प्रकार बनता है : गोविन्दाचार्य वल्लभ दीक्षित यज्ञनारायण गंगाधर भट्ट सोमयाजी गणपति भट्ट सोमयाजी. श्रीवल्लभ भट्ट (बालभट्ट) लक्ष्मण भट्ट सोमयाजी लक्ष्मण भट्ट सोमयाजी जनार्दन भट्ट महाप्रभु वल्लभाचार्य' रामचन्द्र भट्ट रामकृष्ण भट्ट (नारायण भट्ट) विश्वनाथ भट्ट नारायण भट्ट राय भट्ट लक्ष्मीनाथ भट्ट चन्द्रशेखर भट्ट वासिष्ठ एवं भारद्वाज दोनो गोत्रों का उल्लेख होने से यहां यह विचारणीय है कि रामचन्द्र भट्ट भारद्वाज-गोत्रीय थे या वसिष्ठ-गोत्रीय ? या नाम-साम्य से रामचन्द्र भट्ट एक ही व्यक्ति हैं अथवा भिन्न-भिन्न ? और, यदि एक ही व्यक्ति हैं तो गोत्रभेद का क्या कारण है ? तथा रामचन्द्र भट्ट यदि वल्लभाचार्य के अनुज हैं तो वल्लभ-साहित्य एवं परम्परा में रामचन्द्र एवं इनकी परम्परा का उल्लेख क्यों नहीं है ? आदि प्रश्न उपस्थित होते हैं । अतः इन पर यहाँ विचार करना असंगत न होगा। १-देखें, कांकरोली का इतिहास, द्वितीय भाग, एवं वल्लभवंशवृक्ष । २-देखें, वल्लभवंशवृक्ष ।
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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